नागालैंड वाटरशेड महोत्सव से जल सुरक्षा और ग्रामीण विकास मिशन को नई राष्ट्रीय गति
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राज्य स्तरीय वाटरशेड महोत्सव 2025 के शुभारंभ से नागालैंड में जल संरक्षण, किसानों की आय वृद्धि और जलवायु-सहिष्णु कृषि को नई गति मिली।
मिशन वाटरशेड पुनरुत्थान के तहत पारंपरिक जल निकायों को पुनर्जीवित करने, भूमि पुनर्स्थापन और सामुदायिक आजीविका को सुदृढ़ करने पर केंद्रित कार्ययोजना तैयार।
Delhi/ ग्रामीण विकास और संचार राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने शनिवार को कोहिमा स्थित नागा सॉलिडेरिटी पार्क में राज्य स्तरीय वाटरशेड महोत्सव 2025 का शुभारंभ किया। यह आयोजन भारत की जल सुरक्षा को मजबूत करने और सतत ग्रामीण विकास को गति देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान डॉ. पेम्मासानी ने मिशन वाटरशेड पुनरुत्थान की शुरुआत की और कहा कि जल सुरक्षा केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से सीधे जुड़ा विषय है।
उन्होंने बताया कि मिशन का उद्देश्य पारंपरिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना, बंजर भूमि को उपजाऊ बनाना, जल संचयन क्षमता बढ़ाना और सामुदायिक भागीदारी के साथ ग्रामीण आजीविका को स्थायी आधार देना है। मनरेगा जैसी योजनाओं के समन्वय से जल संरक्षण अवसंरचना को व्यापक स्तर पर सुदृढ़ किया जाएगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि और जलवायु अनुकूल कृषि प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा।
डॉ. पेम्मासानी ने नागालैंड को सामुदायिक नेतृत्व वाले वाटरशेड प्रबंधन का मॉडल बताते हुए कहा कि यहां झरनों का नवीनीकरण, जल संचयन संरचनाओं का पुनर्निर्माण और भूमि संसाधनों का पुनरुद्धार भविष्य की पीढ़ियों के लिए जीवनरेखा सिद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि नागालैंड की विरासत, परंपराएं, संगीत, शिल्प और सांस्कृतिक उत्सव इसकी पहचान को सशक्त बनाते हैं और इसके विकास यात्रा को नई दिशा प्रदान करते हैं।
पीएमकेएसवाई और वाटरशेड विकास मिशन के अंतर्गत नागालैंड में अब तक 14 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनके लिए 140 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए जिनमें से 80 करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं। 555 जल संचयन संरचनाओं का निर्माण व नवीनीकरण, 120 झरनों का जीर्णोद्धार और 6,500 से अधिक किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिला है। साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90 प्रतिशत केंद्रीय सहायता उपलब्ध कराना, इस क्षेत्र को विकास के केंद्र में रखने की सरकार की प्राथमिकता को दर्शाता है।
उन्होंने जनता से जल एवं भूमि संरक्षण में सक्रिय भागीदारी की अपील की और कहा कि जल सुरक्षित भारत का लक्ष्य तभी पूरा होगा जब सरकार और समाज दोनों मिलकर समग्र प्रयास करें। कार्यक्रम ने सहकारी संघवाद की भावना के साथ केंद्र और राज्य के साझा विकास दृष्टिकोण को मजबूत रूप से प्रकट किया।