काशी तमिल संगमम् 4.0 के छठवें दिन काशी व तमिलनाडु के कलाकारों ने नृत्य-गायन से रची सांस्कृतिक समन्वय की शाम
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काशी तमिल संगमम् 4.0 के छठवें दिन वाराणसी और तमिलनाडु के कलाकारों ने लोक गायन, भजन और नृत्य प्रस्तुतियों के माध्यम से सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया।
कार्यक्रम में गंगा भक्तिमय गीतों, शिव स्तुति और रामायण आधारित जटायु मोक्ष प्रसंग ने आध्यात्मिक और भावपूर्ण वातावरण का संचार किया।
Kashi/ उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज, दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, तंजावूर एवं संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित काशी तमिल संगमम् 4.0 का छठवां दिन सोमवार को नमोघाट स्थित मुक्ताकाशी प्रांगण में भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर तमिलनाडु और काशी के कलाकारों ने मिलकर भारतीय कला एवं परंपरा की विविध धारा को मंच पर जीवंत किया।
कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति वाराणसी की श्रीमती ममता शर्मा एवं दल द्वारा हुई, जिसमें लोक गायन के अंतर्गत गंगा भजन, शिव भजन और डमरू गीत की प्रस्तुति ने दर्शकों को बांधे रखा। इसके उपरांत डॉ. शिवानी शुक्ला एवं दल द्वारा भजन गायन की प्रस्तुति हुई, जिसमें “आदि देव महादेव”, “अवगुन चित न धरो” और “मनवा राम रघुराई” भजनों ने वातावरण को आध्यात्मिक भाव से सराबोर कर दिया।
तीसरी प्रस्तुति तमिलनाडु की श्रीमती गीतांजलि एवं दल द्वारा हुई, जिसमें करकट्टम, मईलाट्टम और पॉयक्कल कुटीरई अट्टम ने दक्षिण भारतीय लोक नृत्य परंपरा की ऊर्जा और रचनात्मकता को प्रकट किया। चौथी प्रस्तुति वाराणसी की सुश्री शुभांगी सिंह एवं दल की रही, जिन्होंने भरतनाट्यम नृत्य नाटिका के माध्यम से रामायण के जटायु मोक्ष प्रसंग का भावपूर्ण मंचन किया।
पांचवी प्रस्तुति सुश्री सुनिधि पाठक एवं दल द्वारा कथक नृत्य की रही, जिसमें मंगलाचरण, ताराना और सूफ़ियाना शैली की मनमोहक प्रस्तुति ने दर्शकों की खूब सराहना पाई। कार्यक्रम का समापन श्रीमती गीतांजलि एवं दल की लोकनृत्य प्रस्तुति के साथ हुआ। पूरे कार्यक्रम का संचालन सौरभ चक्रवर्ती ने किया।