उद्भव 2025 में 1,558 आदिवासी छात्रों ने दिखाई राष्ट्रीय प्रतिभा, तेलंगाना शीर्ष पर रहा
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उद्भव 2025 में 22 राज्यों के 1,558 आदिवासी छात्रों ने 49 सांस्कृतिक, साहित्यिक और कला श्रेणियों में प्रतिभा का प्रदर्शन कर राष्ट्रीय पहचान हासिल की।
तेलंगाना ने समग्र पदक तालिका में पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि 105 प्रथम, 105 द्वितीय और 105 तृतीय पुरस्कार प्रदान किए गए।
आंध्र प्रदेश/ जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा सोसाइटी (NESTS) द्वारा आयोजित छठा राष्ट्रीय ईएमआरएस सांस्कृतिक, साहित्यिक और कला उत्सव “उद्भव 2025” का 5 दिसंबर 2025 को आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले स्थित केएल विश्वविद्यालय में भव्य समापन हुआ। 3 से 5 दिसंबर तक चले इस उत्सव की मेजबानी APPTWREIS (गुरुकुलम) ने की। यह आयोजन आदिवासी शिक्षा, सांस्कृतिक संरक्षण और राष्ट्रीय पहचान को एक ही मंच पर लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
समापन समारोह में आंध्र प्रदेश की जनजातीय कल्याण मंत्री श्रीमती जी. संध्या रानी, समाज कल्याण एवं वरिष्ठ नागरिक कल्याण मंत्री डॉ. डी.एस. स्वामी और पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री कंडुला दुर्गेश सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की। सभी अतिथियों ने आदिवासी छात्रों की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि “उद्भव” जैसे आयोजन आदिवासी युवाओं के लिए आत्मविश्वास, नेतृत्व और अभिव्यक्ति के सशक्त मंच बनकर सामने आए हैं।
आयोजन NESTS आयुक्त श्री अजीत कुमार श्रीवास्तव (IRAS) और आंध्र प्रदेश सरकार के सचिव श्री M.M. नायक (IAS) के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ, जबकि आयोजन सचिव IAS श्रीमती एम. गौतमी के नेतृत्व में गुरुकुलम की टीम द्वारा सफलतापूर्वक संचालित किया गया।
कार्यक्रम में 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 1,558 आदिवासी छात्रों ने भाग लिया — जिसमें 524 छात्र और 1,024 छात्राएं शामिल रहीं। छात्रों ने 49 श्रेणियों में सांस्कृतिक, साहित्यिक, प्रदर्शन कलाओं, रचनात्मक व पारंपरिक कला में अपने कौशल का प्रदर्शन किया। तीन दिनों में कुल 49 प्रतियोगिताएँ आयोजित हुईं जिनमें जनजातीय समुदायों की विविधता, लोक विरासत, परंपराओं और कलात्मक उत्कृष्टता को मंच मिला।
पदक तालिका में तेलंगाना प्रथम स्थान पर रहा, जबकि झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश क्रमशः अगले स्थानों पर रहे। कुल 105–105 प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार प्रदान किए गए। सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र दिए जाएंगे।
कार्यक्रम की एक प्रमुख विशेषता यह घोषणा रही कि 12 चयनित श्रेणियों के विजेता अब पुणे के यशदा में राष्ट्रीय कला उत्सव में ईएमआरएस का प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे आदिवासी छात्रों को राष्ट्रीय मंच पर बड़े अवसर एवं पहचान मिलने की उम्मीद है।
अद्भुत पारंपरिक नृत्य, जनजातीय लोकगीत, रंगमंच, आदिवासी चित्रकला, हस्तशिल्प और साहित्यिक प्रस्तुतियों ने न केवल दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया बल्कि यह भी सिद्ध किया कि भारत के आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने में सक्षम है।
“उद्भव 2025” ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के राष्ट्रीय संकल्प को मजबूती दी, साथ ही ईएमआरएस प्रणाली की भूमिका को उभारते हुए यह स्पष्ट किया कि आदिवासी छात्रों के लिए शिक्षा केवल अकादमिक नहीं बल्कि व्यक्तित्व, पहचान, नेतृत्व और सांस्कृतिक आत्मसम्मान का भी माध्यम है।