भारत के प्राचीन विश्वविद्यालय: तक्षशिला से नालंदा तक ज्ञान की गौरवशाली विरासत
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भारत विश्व का प्राचीनतम उच्च शिक्षा केंद्र रहा है.
नालंदा और तक्षशिला का वैश्विक शैक्षणिक प्रभाव.
शिक्षा, दर्शन और विज्ञान में भारत का योगदान.
AGCNN / भारत की धरती केवल सभ्यता की जन्मस्थली नहीं रही, बल्कि यह ज्ञान और शिक्षा की भी महान भूमि रही है। आज से हजारों साल पहले, जब दुनिया के कई हिस्सों में संगठित शिक्षा की कल्पना भी नहीं थी, तब भारत में ऐसे विश्वविद्यालय थे, जहां दूर-दूर से विद्यार्थी ज्ञान की खोज में आते थे।
कहानी की शुरुआत होती है तक्षशिला से, जिसे प्राचीन भारत का पहला महान विश्वविद्यालय माना जाता है। आज के पाकिस्तान क्षेत्र में स्थित तक्षशिला में राजकुमार, विद्वान और साधारण विद्यार्थी एक साथ शिक्षा ग्रहण करते थे। यहां वेद, आयुर्वेद, राजनीति, युद्धकला और दर्शन पढ़ाया जाता था। कहा जाता है कि चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य जैसे महान व्यक्तित्वों ने यहीं से ज्ञान पाया।
इसके बाद गुजरात की धरती पर फला-फूला वल्लभी विश्वविद्यालय। यह विशेष रूप से बौद्ध शिक्षा और प्रशासनिक प्रशिक्षण के लिए प्रसिद्ध था। दूर देशों से आए विद्यार्थी यहां राज्य संचालन और समाज व्यवस्था की बारीकियां सीखते थे। वल्लभी अपने समय में समुद्री व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी केंद्र रहा।
बिहार में स्थित नालंदा विश्वविद्यालय तो ज्ञान की दुनिया का उज्ज्वल सूर्य था। यहां हजारों विद्यार्थी और शिक्षक रहते थे। विशाल पुस्तकालय, खुले प्रांगण और विचारों से गूंजती कक्षाएं नालंदा की पहचान थीं। चीन, कोरिया और तिब्बत से आए विद्वान यहां अध्ययन करते थे। नालंदा सिर्फ विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि विचारों का महासागर था।
इसी बिहार में गंगा के किनारे स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने बौद्ध तांत्रिक शिक्षा को नई दिशा दी। यहां कठोर अनुशासन और उच्च अध्ययन की परंपरा थी। तिब्बत तक विक्रमशिला के विद्वानों की ख्याति फैली हुई थी।
आंध्र प्रदेश का नागार्जुनकोंडा बौद्ध दर्शन और कला का अनोखा केंद्र था। यहां अध्ययन के साथ-साथ आध्यात्मिक साधना को भी महत्व दिया जाता था।
बिहार-बंगाल सीमा पर स्थित ओदंतपुरी विश्वविद्यालय बौद्ध शिक्षा का एक और चमकता सितारा था। यहां से ज्ञान की धारा दूर-दूर तक बहती थी।
ये प्राचीन विश्वविद्यालय हमें याद दिलाते हैं कि भारत कभी विश्वगुरु था—जहां ज्ञान, विचार और मानवता का संगम होता था।