लिव-इन रिलेशनशिप पर संघ प्रमुख मोहन भागवत की दो टूक, परिवार को बताया भारतीय संस्कृति की रीढ़

Mon 22-Dec-2025,01:48 AM IST +05:30

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लिव-इन रिलेशनशिप पर संघ प्रमुख मोहन भागवत की दो टूक, परिवार को बताया भारतीय संस्कृति की रीढ़ RSS-Chief-Emphasizes-Marriage-and-Family-Values
  • मोहन भागवत ने लिव-इन रिलेशनशिप को जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति बताते हुए भारतीय परिवार व्यवस्था को समाज की मूल इकाई बताया।

  • RSS प्रमुख के अनुसार 19–25 वर्ष की उम्र में विवाह से माता-पिता और बच्चों का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है।

  • संघ प्रमुख ने कहा कि परिवार ही भारत की संस्कृति, समाज और अर्थव्यवस्था की सबसे मजबूत आधारशिला है।

West Bengal / Kolkata :

कोलकाता/ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने ‘RSS 100 व्याख्यानमाला’ कार्यक्रम के दौरान लिव-इन रिलेशनशिप और आधुनिक जीवनशैली को लेकर अपनी स्पष्ट और पारंपरिक सोच सामने रखी। उन्होंने युवाओं से जिम्मेदारीपूर्ण जीवन अपनाने की अपील करते हुए कहा कि विवाह और परिवार भारतीय समाज की मूल इकाई रहे हैं, जिन्हें कमजोर करना समाज और संस्कृति दोनों के लिए घातक हो सकता है।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि उन्होंने डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों से चर्चा की है, जिनका मानना है कि 19 से 25 वर्ष की उम्र में विवाह और संतुलित पारिवारिक जीवन से माता-पिता और बच्चों, दोनों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। उन्होंने यह भी कहा कि पारंपरिक परिवार व्यवस्था में बच्चों का पालन-पोषण अधिक सुरक्षित और संतुलित ढंग से होता है।

लिव-इन रिलेशनशिप पर टिप्पणी करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि यह व्यवस्था अक्सर जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति को दर्शाती है। उन्होंने युवाओं को चेतावनी देते हुए कहा कि स्वतंत्रता के नाम पर जिम्मेदारियों से भागना समाज के लिए ठीक संकेत नहीं है। विशेष रूप से विवाह से दूरी बनाने की सोच पर उन्होंने चिंता जताई और कहा कि यह सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर सकती है।

महिलाओं की भूमिका और विवाह न करने की प्रवृत्ति पर बोलते हुए भागवत ने कहा कि यदि समाज में यह धारणा बढ़ती है कि परिवार और जिम्मेदारी से दूरी बनाई जाए, तो इसका दीर्घकालिक असर नकारात्मक होगा। उन्होंने कहा, “देश की असली बचत और असली सोना परिवारों के पास ही रहता है।” परिवार न केवल हमारी सांस्कृतिक इकाई है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक संरचना की भी नींव है।

संघ प्रमुख ने जोर देकर कहा कि भारतीय संस्कृति में परिवार को केवल निजी संस्था नहीं, बल्कि कल्चर यूनिट, सोशल यूनिट और इकॉनमी यूनिट माना गया है। यदि परिवार कमजोर होगा तो समाज और राष्ट्र भी कमजोर होगा। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे पश्चिमी जीवनशैली की अंधी नकल के बजाय अपनी परंपराओं को समझें और उन्हें अपनाएं।

अपने संबोधन के अंत में संघ प्रमुख ने कहा कि देश और संस्कृति को बचाने के लिए मजबूत परिवार व्यवस्था अनिवार्य है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आधुनिकता और प्रगति जरूरी है, लेकिन जड़ों से कटकर नहीं।