CTC बनाम इन-हैंड सैलरी: कागज़ी पैकेज और हकीकत के बीच का फर्क

Wed 24-Dec-2025,02:12 AM IST +05:30

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CTC बनाम इन-हैंड सैलरी: कागज़ी पैकेज और हकीकत के बीच का फर्क CTC-vs-In-Hand-Salary
  • CTC और इन-हैंड सैलरी में बड़ा अंतर.

  • टैक्स और कटौतियों से घटती वास्तविक कमाई.

  • नौकरी चुनते समय सैलरी ब्रेकअप समझना जरूरी.

Delhi / Delhi :

Delhi / आज के कॉरपोरेट और टेक सेक्टर में नौकरी पाने वाले युवाओं के लिए सबसे बड़ा आकर्षण होता है—CTC यानी कॉस्ट टू कंपनी। लेकिन जैसे ही पहली सैलरी अकाउंट में आती है, कई लोगों को झटका लगता है। वजह साफ है—CTC और इन-हैंड सैलरी के बीच ज़मीन-आसमान का अंतर। हाल ही में सामने आए एक सैलरी ब्रेकअप चार्ट ने फिर से इस सच्चाई को उजागर कर दिया है कि बड़ा पैकेज होने के बावजूद हाथ में आने वाली रकम अपेक्षा से काफी कम होती है।

CTC में कंपनी की तरफ से कर्मचारी पर होने वाला पूरा खर्च शामिल होता है। इसमें बेसिक सैलरी, HRA, बोनस, ग्रेच्युटी, PF, इंश्योरेंस, ESOPs और कई बार टैक्स बेनिफिट्स भी जोड़ दिए जाते हैं। लेकिन कर्मचारी को हर महीने जो रकम मिलती है, वह इन-हैंड सैलरी होती है, जिसमें PF कटौती, प्रोफेशनल टैक्स, इनकम टैक्स और अन्य डिडक्शन पहले ही घटा दिए जाते हैं।

अगर आंकड़ों की बात करें तो 1 लाख रुपये सालाना CTC पर काम करने वाले कर्मचारी को हर महीने सिर्फ 7,600 से 8,300 रुपये ही मिलते हैं। यानी साल भर में करीब 92 हजार से 1 लाख रुपये के बीच। वहीं 5 LPA का पैकेज सुनने में अच्छा लगता है, लेकिन इन-हैंड सैलरी लगभग 39 हजार से 41 हजार रुपये महीने तक सीमित रह जाती है। सालाना यह रकम करीब 4.7 से 5 लाख रुपये के बीच होती है।

जैसे-जैसे CTC बढ़ता है, इन-हैंड सैलरी भी बढ़ती है, लेकिन अपेक्षित अनुपात में नहीं। उदाहरण के लिए 10 LPA पैकेज पर कर्मचारी को हर महीने लगभग 70 हजार से 77 हजार रुपये मिलते हैं। यानी सालाना करीब 8.4 से 9.25 लाख रुपये। 20 LPA का पैकेज भी टैक्स और डिडक्शन के बाद 1.26 से 1.42 लाख रुपये महीने तक सिमट जाता है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 50 LPA जैसे हाई पैकेज पर भी इन-हैंड सैलरी करीब 2.9 से 3.26 लाख रुपये महीने के बीच रहती है। यानी सालाना लगभग 35 से 39 लाख रुपये। इसमें भी टैक्स का बड़ा हिस्सा चला जाता है। हाई सैलरी वालों के लिए स्लैब के अनुसार टैक्स दर बढ़ने से अंतर और ज्यादा महसूस होता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि जॉब ऑफर स्वीकार करते समय केवल CTC पर नहीं, बल्कि सैलरी स्ट्रक्चर पर ध्यान देना जरूरी है। बेसिक सैलरी कितनी है, PF कितना कटेगा, बोनस फिक्स है या वैरिएबल, इंश्योरेंस और ESOPs वास्तव में कितने उपयोगी हैं—इन सब सवालों के जवाब जानना जरूरी है।

युवाओं और फ्रेशर्स के लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि “CTC बड़ा है” का मतलब “जेब में उतना पैसा” नहीं होता। सही जानकारी और समझ के साथ ही करियर और फाइनेंशियल प्लानिंग बेहतर की जा सकती है। यह रिपोर्ट एक बार फिर याद दिलाती है कि सैलरी की हकीकत जानना उतना ही जरूरी है, जितना नौकरी पाना।

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