क्यों नहीं टिक पाते आधुनिक लड़का–लड़की के रिश्ते? जानें असली कारण

Tue 09-Dec-2025,02:44 AM IST +05:30

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क्यों नहीं टिक पाते आधुनिक लड़का–लड़की के रिश्ते? जानें असली कारण
  • आधुनिक लड़का–लड़की के रिश्ते क्यों जल्दी टूट जाते हैं? जानें भावनात्मक दूरी, संवाद की कमी, सोशल मीडिया दबाव और जीवनशैली चुनौतियों के मुख्य कारण।

Maharashtra / Nagpur :

एजीसीएनएन/ आधुनिक समय में लड़का और लड़की के निजी रिश्तों में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। कई रिश्ते शुरुआत में बहुत गहरे दिखाई देते हैं, लेकिन समय के साथ उनका टूटना आज एक सामान्य सामाजिक वास्तविकता बन चुका है। प्रश्न यह है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? अकेले भारत ही नहीं, विश्वभर में रिश्तों की स्थिरता पर किए गए नवीन शोध बताते हैं कि भावनात्मक अपेक्षाओं, संचार की कमी से लेकर व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बढ़ती चाहत तक, कई कारण रिश्तों को दीर्घकालिक बनने से रोक देते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि आज की पीढ़ी पहले की तुलना में अधिक आत्मकेंद्रित जीवनशैली अपनाती है। युवा करियर, स्वतंत्रता और व्यक्तिगत लक्ष्यों को प्राथमिकता देते हैं। ऐसे में जब रिश्ता उनसे समय, भावनाएं और प्रतिबद्धता मांगता है, तो उनके लिए संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है। मनोवैज्ञानिक यह भी बताते हैं कि सोशल मीडिया ने रिश्तों की अपेक्षाओं को अनावश्यक रूप से बढ़ा दिया है। ऑनलाइन दिखने वाली 'परफेक्ट रिलेशनशिप' की तस्वीरें युवाओं पर मानसिक दबाव बनाती हैं कि उनका रिश्ता भी उसी आदर्श रूप में होना चाहिए।

रिश्तों में छोटी–छोटी बातों पर बढ़ती असहिष्णुता भी एक बड़ा कारण है। पहले के समय में लोग समस्या होने पर बातचीत करके समाधान तलाशते थे, लेकिन आज के जोड़ों में धैर्य कम होता जा रहा है। विवाद होते ही रिश्ता खत्म करने का निर्णय लेना आसान मान लिया जाता है। शोध यह भी दर्शाते हैं कि भावनात्मक कौशल- जैसे सुनना, समझना, साझा करना, माफी मांगना कई युवा जोड़ों में कमजोर हो गए हैं। इससे गलतफहमियां गहराती हैं और रिश्ता टूटने लगता है।

एक और महत्वपूर्ण कारण है रिश्तों में असमान अपेक्षाएं। लड़का और लड़की अक्सर एक–दूसरे से अलग चीजें चाहते हैं कोई स्थिरता चाहता है, तो कोई स्वतंत्रता; कोई भावनात्मक समर्थन चाहता है, तो कोई स्पेस। जब ये अपेक्षाएं टकराती हैं, तो तनाव पैदा होता है। रिश्ते की शुरुआत में यह अंतर स्पष्ट नहीं दिखता, लेकिन समय के साथ यह बड़ा मुद्दा बन जाता है।

इसके अलावा आर्थिक दबाव और नौकरी की असुरक्षा भी रिश्तों की स्थिरता पर प्रभाव डालते हैं। बढ़ती महंगाई, करियर की प्रतिस्पर्धा और जीवनशैली की उच्च अपेक्षाएं युवा जोड़ों को मानसिक रूप से थका देती हैं। इससे रिश्ते में तनाव, तकरार और दूरी बढ़ती है।

कुछ मामलों में परिवार और सामाजिक दबाव भी रिश्ते को लंबे समय तक टिकने नहीं देते। खासकर भारतीय समाज में सांस्कृतिक भिन्नताओं, जातिगत सीमाओं और पारिवारिक अपेक्षाओं के कारण कई रिश्ते आगे नहीं बढ़ पाते।

विश्लेषकों का निष्कर्ष है कि रिश्ते तभी टिकते हैं जब दोनों पक्ष परिपक्वता, संवाद, धैर्य और सम्मान के साथ उन्हें निभाते हैं। केवल आकर्षण या भावनाओं पर आधारित रिश्ते समय की परीक्षा में अक्सर कमजोर पड़ जाते हैं।