पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर में राष्ट्रपति ने यात्रा कर नौसेना की परिचालन क्षमता को करीब से देखा।
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
President-Murmu’s-INS-Vagsheer-Voyage-Highlights
कालवरी श्रेणी की पनडुब्बी पर राष्ट्रपति की पहली यात्रा ने आत्मनिर्भर भारत की रक्षा शक्ति को रेखांकित किया।
राष्ट्रपति ने चालक दल के अनुशासन और आत्मविश्वास को नौसेना की युद्ध तत्परता का प्रतीक बताया।
कारवार/ कर्नाटक, भारत की राष्ट्रपति एवं सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 28 दिसंबर 2025 को पश्चिमी तट पर स्थित नौसेना अड्डे से स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर में समुद्री यात्रा कर भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमता और आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति का प्रत्यक्ष अनुभव किया। इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी भी उनके साथ उपस्थित रहे।
राष्ट्रपति ने कर्नाटक के कारवार नौसेना बंदरगाह से पनडुब्बी में सवार होकर दो घंटे से अधिक समय तक समुद्र में भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने पनडुब्बी के भीतर की परिचालन गतिविधियों को देखा, चालक दल से संवाद किया और पनडुब्बी के आधुनिक तकनीकी सिस्टम की जानकारी ली। यह यात्रा सैन्य परिस्थितियों में सर्वोच्च कमांडर की सशस्त्र बलों के साथ सक्रिय सहभागिता का महत्वपूर्ण उदाहरण मानी जा रही है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बाद पनडुब्बी में यात्रा करने वाली दूसरी राष्ट्रपति बनीं। विशेष बात यह रही कि यह स्वदेशी कालवरी श्रेणी की पनडुब्बी पर किसी राष्ट्रपति की पहली यात्रा थी, जो भारत की ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा नीति की सफलता को भी दर्शाती है।
यात्रा के बाद आगंतुक पुस्तिका में अपनी टिप्पणी दर्ज करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आईएनएस वाघशीर के चालक दल का अनुशासन, आत्मविश्वास और उत्साह अत्यंत प्रेरणादायक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय नौसेना और उसकी पनडुब्बी शक्ति किसी भी खतरे का सामना करने और हर परिस्थिति में राष्ट्र की रक्षा के लिए पूर्णतः तैयार है।
गौरतलब है कि इससे पहले नवंबर 2024 में राष्ट्रपति ने स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर भी नौसेना के परिचालन प्रदर्शन को देखा था। यह निरंतर संपर्क भारत की समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक तैयारियों को और मजबूती प्रदान करता है।