क्रोध त्यागने पर PM मोदी का संदेश: राष्ट्रीय सद्भाव के लिए साझा किया संस्कृत श्लोक
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प्राचीन संस्कृत श्लोक का हवाला देकर प्रधानमंत्री ने आंतरिक संयम, धैर्य और सकारात्मक सोच को मजबूत राष्ट्रनिर्माण का आधार बताया।
सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के संदेश को व्यापक समर्थन मिला, लोगों ने इसे प्रेरणादायी और वर्तमान समय के लिए अत्यंत आवश्यक बताया।
दिल्ली/ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने क्रोध की विनाशकारी प्रकृति और व्यक्तिगत कल्याण एवं सामूहिक प्रगति के लिए आंतरिक संयम के महत्व का उल्लेख करते हुए एक गहन संदेश साझा किया।
प्रधानमंत्री ने एक प्राचीन संस्कृत श्लोक का उद्धरण देते हुए बताया कि क्रोध किस प्रकार से विवेक को कमजोर करता है, सामाजिक सद्भाव को बाधित करता है और मानवीय क्षमता को कम करता है।
एक्स पर अपनी पोस्ट में श्री मोदी ने कहा:
“क्रोधः प्राणहरः शत्रुः क्रोधो मित्रमुखो रिपुः।
क्रोधो ह्यसिर्महातीक्ष्णः सर्व क्रोधोऽपकर्षति॥”
यह श्लोक हमें याद दिलाता है कि क्रोध एक छिपा हुआ शत्रु है, जो दिखाई तो मित्र की तरह देता है, लेकिन उसके परिणाम अत्यंत घातक हो सकते हैं। क्रोध विवेक को नष्ट करता है, निर्णय क्षमता को प्रभावित करता है और सामाजिक संबंधों को कमजोर बनाता है।