आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तेज, उद्योग-CSIR साझेदारी पर जोर
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डॉ.-जितेंद्र-सिंह-ने-तिरुपति-बैठक-में-सीएसआईआर-प्रयोगशालाओं-की-उपलब्धियों-की-समीक्षा-कर-उद्योग-साझेदारी-और-तेज-प्रौद्योगिकी-हस्तांतरण-पर-जोर-दिया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के शोध को उद्योग और समाज से जोड़कर आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को तेज़ी से आगे बढ़ाने पर जोर दिया।
सरकार के प्रोत्साहन के साथ उद्योग साझेदारी और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को मजबूत कर वैज्ञानिक नवाचारों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जोड़ा जा रहा है।
Delhi/ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की औद्योगिक भागीदारी को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रक्रिया में तेजी लाने पर जोर दिया है। तिरुपति में आयोजित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में उन्होंने चेन्नई और हैदराबाद स्थित सीएसआईआर प्रयोगशालाओं की वैज्ञानिक उपलब्धियों, नवाचार क्षमता और उद्योग सहयोग की प्रगति का आकलन किया। डॉ. सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयोगशालाओं में विकसित अनुसंधान को तेजी से सामाजिक और वाणिज्यिक उपयोग में बदलना समय की आवश्यकता है।
बैठक का मुख्य उद्देश्य सीएसआईआर प्रयोगशालाओं की हालिया उपलब्धियों की समीक्षा करना और यह सुनिश्चित करना था कि उनका शोध राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप हो। सरकार द्वारा वैज्ञानिक और नवाचार इको-सिस्टम को सुदृढ़ करने के लिए दिए जा रहे निरंतर प्रोत्साहन के बीच, प्रयोगशालाओं की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने पर चर्चा हुई। इस अवसर पर विभिन्न प्रयोगशालाओं के निदेशकों ने अपने-अपने संस्थानों के प्रमुख अनुसंधान कार्य, उद्योग साझेदारी और भविष्य की रणनीतियों को प्रस्तुत किया।
सीएसआईआर-केंद्रीय विद्युतरासायनिक अनुसंधान संस्थान (सीईसीआरआई), कराईकुडी ने ऊर्जा भंडारण, स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रोकेमिकल प्रौद्योगिकियों में अपने स्वदेशी प्रयासों की जानकारी दी। इसमें सोडियम-आयन बैटरी, प्रयुक्त बैटरियों से धातु पुनर्प्राप्ति, हरित हाइड्रोजन उत्पादन और कार्बन डाइऑक्साइड कैप्चर जैसी तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया गया। वहीं, सीएसआईआर-राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई), हैदराबाद ने लद्दाख और हिमालयी क्षेत्रों में भू-खतरों के अध्ययन, भूतापीय ऊर्जा अन्वेषण और महत्वपूर्ण खनिजों के मानचित्रण में की गई प्रगति साझा की।
सीएसआईआर-केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (सीएलआरआई), चेन्नई ने ‘भा’ फुटवियर साइजिंग सिस्टम, उन्नत रक्षा दस्ताने और चमड़े के कचरे को मूल्यवर्धित उत्पादों में बदलने जैसे नवाचारों को रेखांकित किया। सीएसआईआर-संरचनात्मक अभियांत्रिकी अनुसंधान केंद्र (एसईआरसी) ने अपतटीय नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना, आपदा-प्रतिरोधी निर्माण तकनीकों और संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी पर अपने कार्य प्रस्तुत किए। इसके साथ ही, सीएसआईआर-कोशिकीय और आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) ने जीनोमिक्स, निदान और जैव प्रौद्योगिकी में मानव, पशु और पादप स्वास्थ्य से जुड़े अनुसंधान की जानकारी दी। सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) ने फार्मास्यूटिकल्स, वैक्सीन एडज्वेंट और नई पीढ़ी के रेफ्रिजरेंट्स पर हो रहे कार्यों को साझा किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के सामूहिक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आवश्यकता-आधारित अनुसंधान और विज्ञान-प्रेरित नवाचार ही राष्ट्रीय विकास की कुंजी हैं। उन्होंने उद्योग साझेदारी को और मजबूत करने, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सरल और तेज बनाने तथा अनुसंधान के सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने पर विशेष बल दिया। उनके अनुसार, सीएसआईआर भारत की वैज्ञानिक क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने और आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है।