महाराष्ट्र में बढ़ती छात्र आत्महत्याएँ: NCRB की रिपोर्ट के आंकड़े चिंताजनक
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महाराष्ट्र में छात्र आत्महत्याओं के सबसे अधिक 2,046 मामले दर्ज।
10वीं से 12वीं के छात्रों में आत्महत्या दर सबसे अधिक।
अपमान, असफलता का डर और मानसिक दबाव प्रमुख कारण।
नई दिल्ली / देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान देने वाले महाराष्ट्र की पहचान पर एक गंभीर धब्बा लगा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, छात्र आत्महत्याओं में महाराष्ट्र देश में पहले स्थान पर आ गया है। वर्ष 2023 में पूरे भारत में 13,892 छात्रों ने आत्महत्या की, जिनमें सबसे अधिक 2,046 मामले महाराष्ट्र में दर्ज हुए। इसके बाद मध्यप्रदेश (1,459), उत्तर प्रदेश (1,373) और तमिलनाडु (1,339) का स्थान है। रिपोर्ट का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि आत्महत्या करने वाले छात्रों में कक्षा 10वीं से 12वीं वर्ग के विद्यार्थियों का प्रतिशत सबसे अधिक (24.6%) है। कॉलेज के प्रथम से तृतीय वर्ष के छात्र 18.6% और उच्च प्राथमिक वर्ग के छात्र 17.5% शामिल हैं।
पिछले कुछ वर्षों में स्कूलों में शिक्षकों के अपमानजनक व्यवहार, खराब प्रदर्शन पर तंज कसना, दोस्तों के सामने बेइज्जती करना, असफलता का डर और स्कूल से निकालने की धमकियाँ आत्महत्याओं के प्रमुख कारणों में सामने आई हैं। हाल के मामलों में दिल्ली के छात्र शौर्य पाटिल और जालना की आरोही बिटलान की आत्महत्याओं ने सभी को झकझोर दिया।
महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों में मुंबई (1415), पुणे (953), नागपुर (663), औरंगाबाद (354) और नासिक (160) में मामले दर्ज हुए हैं।
2014 से 2023 के बीच छात्रों की आत्महत्याओं में 72% की वृद्धि दर्ज हुई है, जबकि मानसिक स्वास्थ्य कानून, एंटी-रैगिंग उपाय, काउंसलिंग सिस्टम और एनईपी-2020 के बावजूद स्थिति बदतर हुई है। बढ़ते आंकड़े शिक्षा प्रणाली, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और स्कूल वातावरण पर गंभीर प्रश्न खड़े कर रहे हैं।