इंडिगो उड़ानों का हवाई अड्डों पर कहर: दिल्ली हाई कोर्ट में PIL, फंसे यात्रियों की मदद पर सस्पेंस बढ़ा

Mon 08-Dec-2025,09:58 PM IST +05:30

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इंडिगो उड़ानों का हवाई अड्डों पर कहर: दिल्ली हाई कोर्ट में PIL, फंसे यात्रियों की मदद पर सस्पेंस बढ़ा Indigo-Flights-Update
  • इंडिगो उड़ान संकट पर दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर।

  • यात्रियों की बढ़ती परेशानियों और रिफंड की कमी पर सवाल।

  • दिल्ली-बेंगलुरु में 250+ उड़ानें रद्द, स्थिति गंभीर।

Delhi / Delhi :

Delhi / इंडिगो की उड़ानों में लगातार हो रही देरी और रद्दीकरण ने देशभर के यात्रियों की परेशानियों को कई गुना बढ़ा दिया है। यह संकट अब सिर्फ एयरपोर्ट तक सीमित नहीं रहा, बल्कि दिल्ली हाई कोर्ट तक पहुँच चुका है। अदालत में दायर एक जनहित याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार और एयरलाइन को स्पष्ट व प्रभावी निर्देश जारी किए जाएँ, ताकि फंसे हुए यात्रियों को तुरंत राहत मिल सके। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि पिछले कई दिनों से इंडिगो की उड़ानें अनियमित रूप से बाधित हो रही हैं, जिससे लोगों को भारी असुविधा और आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।

अदालत के सामने यह मुद्दा रखते हुए कहा गया कि एयरपोर्ट पर स्थिति अमानवीय होती जा रही है—लंबी कतारें, घंटों इंतज़ार, जानकारी का अभाव और रिफंड की असमंजस भरी प्रक्रिया यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ा रही है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने भी माना कि संबंधित अधिकारी इस मामले पर पहले से विचार कर रहे हैं, और जनहित याचिका की विस्तृत सुनवाई बुधवार के लिए तय की गई है।

जानकारी के अनुसार, इंडिगो की उड़ान समस्या सातवें दिन में प्रवेश कर चुकी है। सोमवार को दिल्ली और बेंगलुरु एयरपोर्ट से 250 से अधिक उड़ानों को रद्द करना पड़ा, जो स्थिति की गंभीरता को दिखाता है। दिल्ली एयरपोर्ट पर अकेले 134 उड़ानें प्रभावित हुईं, जिसमें 75 प्रस्थान और 59 आगमन शामिल थे। बेंगलुरु में 117 उड़ानें रद्द की गईं। यह परिदृश्य उन हज़ारों यात्रियों के लिए बेहद कठिन है, जिन्हें अचानक यात्रा योजनाएँ बदलनी पड़ीं।

इंडिगो ने इस संकट के लिए पायलटों की उड़ान ड्यूटी और नियामक नियमों में हुए बदलावों को जिम्मेदार बताया है। हालांकि, यात्रियों और विशेषज्ञों का मानना है कि एयरलाइन इतनी बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द होने की स्थिति को पहले से संभाल सकती थी।

सरकार पहले ही स्थिति को देखते हुए दिशानिर्देश जारी कर चुकी है, लेकिन यात्रियों का कहना है कि ज़मीनी स्तर पर ये उपाय प्रभावी रूप से लागू होते नहीं दिख रहे। कोर्ट में दायर याचिका का मकसद यही है कि एयरलाइन और ग्राउंड स्टाफ यात्रियों को समय पर सहायता दें, रिफंड प्रक्रिया पारदर्शी हो और ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए एक बेहतर प्रोटोकॉल तैयार किया जाए।

यह मामला अब सिर्फ उड़ानों की देरी नहीं, बल्कि यात्रियों के अधिकारों और व्यवस्था की विश्वसनीयता का प्रश्न बन चुका है।