छत्तीसगढ़ में रामधेर मज्जी सहित 12 नक्सलियों का आत्मसमर्पण, MMC ज़ोन नक्सल मुक्त घोषित
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
Chhattisgarh-Naxals-Update
रामधेर मज्जी और 11 माओवादी कैडरों का आत्मसमर्पण।
MMC ज़ोन नक्सल मुक्त घोषित, भारी हथियार बरामद।
सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से शांति और विकास लौट रहा है।
Raipur / सुरक्षाबलों ने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में आज एक ऐसा कदम दर्ज किया है, जिसे ऐतिहासिक सफलता कहा जा सकता है। कुख्यात नक्सली कमांडर और CPI (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी के सदस्य रामधेर मज्जी ने अपने 11 साथियों के साथ छत्तीसगढ़ के बकरकट्टा में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। जिस व्यक्ति को कभी नक्सल मोर्चे की रीढ़ माना जाता था, जिसका प्रभाव हिडमा के बराबर बताया जाता था, वही आज हथियार डालकर मुख्यधारा में लौट आया। इस पर सरकार ने 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।
इस आत्मसमर्पण के बाद MMC ज़ोन (महाराष्ट्र–मध्य प्रदेश–छत्तीसगढ़) को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया, जो दशकों से चले आ रहे नक्सल विरोधी अभियानों की एक निर्णायक जीत मानी जा रही है। रामधेर मज्जी के साथ कुल 12 माओवादी कैडर सरेंडर हुए, जिनमें तीन डिविजनल वाइस कमांडर (DVCM), दो ACM, और कई पीएम कैडर शामिल हैं। उनके पास से ए.के.-47, 30 कार्बाइन, इंसास, .303 और एसएलआर जैसे आधुनिक हथियारों का बड़ा जखीरा मिला है, जो बताता है कि संगठन किस स्तर पर हथियारबंद था।
सरेंडर करने वालों की प्रमुख सूची में शामिल हैं:
रामधेर मज्जी (CCM) – AK-47
चंदू उसेंडी (DVCM) – कार्बाइन
जानकी (DVCM) – INSAS
प्रेम (DVCM) – AK-47
रामसिंह दादा (ACM) – .303
सुकेश पोट्टम (ACM) – AK-47
अन्य कई पीएम कैडर INSAS, SLR और .303 के साथ
कुछ दिनों पहले ही सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के सबसे कुख्यात और सबसे चतुर कमांडरों में शामिल माडवी हिडमा को आंध्र प्रदेश के मारेदुमिल्ली जंगल में एक मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था। हिडमा PLGA बटालियन-1 का प्रमुख था और वह 2010 के ताड़मेटला हमले और 2013 के झीरम घाटी नरसंहार जैसे 26 बड़े हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता था। उस पर भी 1 करोड़ का इनाम था। उसकी मौत नक्सली संगठन के लिए बड़ा झटका साबित हुई थी।
अब, रामधेर मज्जी का आत्मसमर्पण नक्सल संरचना की कमर तोड़ने जैसा कदम माना जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि नक्सलियों ने कई सालों से भारी मात्रा में आधुनिक हथियारों को जंगलों की गुफाओं, सुरंगों और पहाड़ी दरारों के भीतर छिपा रखा है। बीजापुर के 'कर्रेगुट्टा पहाड़ी', जिसे नक्सलियों की राजधानी कहा जाता है, में भी ऐसी कई गुफाएं मिली थीं। बरसात के बाद नक्सली इन हथियारों को निकालकर इस्तेमाल करते थे, लेकिन इस साल सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई ने उनकी रणनीति को पूरी तरह विफल कर दिया।
बरसात के बाद से सुरक्षा बल कई सफल अभियानों में लगातार नक्सलियों को निशाना बना रहे हैं, जिससे संगठन की ताकत तेजी से कमजोर हो रही है। बड़े कमांडरों के मारे जाने और महत्वपूर्ण कैडरों के सरेंडर करने के कारण अब नक्सली समूह टूटने की कगार पर हैं।
यह घटनाक्रम सिर्फ एक ऑपरेशन की सफलता नहीं है, बल्कि उस बदलाव का संकेत है, जहाँ हिंसा और हथियारों से प्रभावित इलाकों में अब शांति, भरोसा और विकास की रोशनी लौटने लगी है।