काशी तमिल संगमम् 4.0 में तमिल दल का भव्य स्वागत, काशी-तमिल संस्कृति का अद्भुत संगम

Wed 10-Dec-2025,01:41 PM IST +05:30

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काशी तमिल संगमम् 4.0 में तमिल दल का भव्य स्वागत, काशी-तमिल संस्कृति का अद्भुत संगम
  • काशी तमिल संगमम् 4.0 के तहत तमिलनाडु का पांचवां प्रतिनिधिमंडल काशी पहुंचा, जहां उनका डमरू वादन और पुष्पवर्षा से पारंपरिक स्वागत हुआ।

  • तमिल दल के सदस्यों ने काशी की आध्यात्मिक ऊर्जा, सांस्कृतिक विरासत और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को अद्वितीय अनुभव बताते हुए भावनात्मक प्रतिक्रिया दी।

  • आयोजन के दौरान तमिल प्रतिनिधि काशी, प्रयागराज और अयोध्या के धार्मिक स्थलों, अकादमिक सत्रों और सांस्कृतिक आयोजनों में शामिल होकर सांस्कृतिक सेतु को मजबूत करेंगे।

Uttar Pradesh / Varanasi :

Kashi/ काशी तमिल संगमम् 4.0 के तहत तमिलनाडु से आने वाले प्रतिनिधिमंडलों का क्रम लगातार जारी है। बुधवार को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पांचवां दल विशेष ट्रेन के माध्यम से बनारस रेलवे स्टेशन पहुंचा। इस दल में बड़ी संख्या में पेशेवरों, कारीगरों, विद्यार्थियों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। स्टेशन पहुंचते ही अतिथियों का पारंपरिक डमरू वादन, पुष्पवर्षा और ‘हर-हर महादेव’ तथा ‘वणक्कम् काशी’ के गगनभेदी उद्घोष के साथ भव्य स्वागत किया गया। पुलिसकर्मी और स्वयंसेवक विशेष रूप से मेहमानों के स्वागत हेतु मौजूद रहे।

स्थल पर आयोजित पारंपरिक स्वागत से तमिल दल के सदस्यों में अपार उत्साह दिखाई दिया। अतिथियों ने कहा कि काशी का आध्यात्मिक वातावरण, यहां की सांस्कृतिक ऊर्जा और लोगों की गर्मजोशी उनके लिए जीवनभर की स्मृति बन जाएगी। कई सदस्यों ने काशी की धरती पर पहुंचते ही दंडवत प्रणाम कर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। उनका कहना था कि काशी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक व भाषाई सेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार करता है।

दल के सदस्यों ने बताया कि बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद वे अकादमिक सत्रों, संवाद कार्यक्रमों और सांस्कृतिक आयोजनों में हिस्सा लेंगे। इस यात्रा को सीखने, समझने और सांस्कृतिक आदान–प्रदान को मजबूत करने का अवसर माना जा रहा है। काशी तमिल संगमम् 4.0 का आयोजन 2 दिसंबर से शुरू हुआ है, जिसके अंतर्गत तमिलनाडु से आने वाले समूह काशी, प्रयागराज और अयोध्या का भ्रमण करेंगे। इस दौरान उन्हें धार्मिक स्थलों, सांस्कृतिक विरासत, पारंपरिक कलाओं और स्थानीय समुदायों से परिचय कराया जाएगा, जिससे दोनों राज्यों की सांस्कृतिक मित्रता और अधिक गहरी हो सके।