NEET–JEE फिर ऑफलाइन? संसदीय समिति ने NTA की ऑनलाइन प्रणाली पर उठाए सवाल
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NTA की ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली पर संसदीय समिति ने गंभीर सवाल उठाए। रिपोर्ट में NEET और JEE को पेन-एंड-पेपर मोड में कराने की सिफारिश की गई है।
दिल्ली/ देश में आयोजित होने वाली प्रतिष्ठित परीक्षाएँ NEET और JEE एक बार फिर से ऑफलाइन मोड में कराई जा सकती हैं। संसद की संसदीय स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को इन परीक्षाओं को पेन-एंड-पेपर मोड में आयोजित करने की सिफारिश दी है। यह रिपोर्ट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने तैयार की है।
समिति का कहना है कि NTA ऑनलाइन मोड में परीक्षाएँ आयोजित करने में “पूरी तरह सफल नहीं” रही है। रिपोर्ट के अनुसार, ऑनलाइन परीक्षा प्रक्रिया में लगातार तकनीकी खामियाँ, सर्वर समस्याएँ, गलत प्रश्नपत्र दिखना, और लॉग-आउट जैसी गड़बड़ियाँ सामने आती रही हैं। इन तकनीकी त्रुटियों के कारण बड़ी संख्या में छात्रों को मानसिक तनाव और परीक्षा के दौरान असुविधा का सामना करना पड़ता है। समिति ने स्पष्ट कहा है कि ऑनलाइन प्रणाली छात्रों के हित में उतनी सुरक्षित और विश्वसनीय साबित नहीं हुई, जितनी होनी चाहिए थी।
रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि परीक्षा की पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता ऑनलाइन मोड में चुनौतीपूर्ण हो जाती है। समिति ने लिखा-“NTA ऑनलाइन एग्जाम कराने में पूरी तरह सफल नहीं रही है। ऑफलाइन मोड तकनीकी जोखिमों से मुक्त और अधिक पारदर्शी विकल्प हो सकता है।”
दिल्ली/ समिति ने UPSC मॉडल को एक आदर्श उदाहरण के रूप में पेश किया। UPSC आज भी अपनी सिविल सेवा परीक्षाएँ पेन-एंड-पेपर मोड में कराता है और इसे देश की सबसे भरोसेमंद परीक्षा प्रणाली माना जाता है। UPSC मॉडल न केवल पारदर्शी है, बल्कि तकनीकी त्रुटियों से भी पूरी तरह सुरक्षित है। रिपोर्ट में कहा गया कि NTA को परीक्षाओं की विश्वसनीयता के लिए UPSC की कार्यप्रणाली से सीख लेनी चाहिए।
हालाँकि, NEET और JEE को ऑफलाइन कराने पर अंतिम निर्णय अभी सरकार और NTA को ही लेना है। समिति ने सिर्फ सिफारिश दी है, बाध्यकारी निर्देश नहीं। यदि यह बदलाव लागू होता है तो देशभर के लाखों छात्रों के लिए बड़ा परिवर्तन होगा। ऑफलाइन परीक्षा से तकनीकी समस्याएँ तो कम होंगी, लेकिन परीक्षा आयोजित करने के लिए अधिक केंद्र, अधिक स्टाफ और अधिक प्रबंधन की जरूरत पड़ेगी, जिससे लागत भी बढ़ सकती है।
इस मुद्दे पर छात्रों की राय दो हिस्सों में बंटी है। एक बड़ा वर्ग मानता है कि ऑनलाइन परीक्षा में तकनीकी खराबी उनके भविष्य को प्रभावित करती है, इसलिए ऑफलाइन मोड ही बेहतर है। दूसरी ओर कुछ छात्रों का कहना है कि ऑनलाइन परीक्षा तेज, आधुनिक और आसान है, बस NTA को तकनीकी ढाँचे को और मजबूत करने की जरूरत है। अभिभावक चाहते हैं कि परीक्षा ऐसी हो जिसमें बच्चों को किसी भी प्रकार की गड़बड़ी का सामना न करना पड़े। अब फैसला सरकार और NTA को करना है कि आने वाले वर्षों में देश की सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षाएँ किस मोड में कराई जाएँगी।