काशी के 50 स्कूलों में तमिल कक्षाएँ शुरू, काशी–तमिल संगमम् 4.0 सांस्कृतिक एकता को दे रहा नई गति

Tue 09-Dec-2025,05:16 PM IST +05:30

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काशी के 50 स्कूलों में तमिल कक्षाएँ शुरू, काशी–तमिल संगमम् 4.0 सांस्कृतिक एकता को दे रहा नई गति
  • काशी के 50 स्कूलों में तमिलनाडु के शिक्षकों द्वारा तमिल भाषा की कक्षाएँ, छात्रों को बातचीत और अक्षर-ज्ञान की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग मिल रही है।

  • काशी-तमिल संगमम् 4.0 उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक कड़ी को मजबूत कर रहा है, छात्रों और प्रतिनिधियों के बीच भाषा एवं परंपरा का आदान-प्रदान बढ़ा।

  • 2 दिसंबर से चल रहे कार्यक्रम में 1,400 प्रतिनिधियों की भागीदारी, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को शिक्षण और सांस्कृतिक संवाद के माध्यम से साकार किया जा रहा है।

Uttar Pradesh / Varanasi :

Kashi/ काशी-तमिल संगमम् 4.0 के अंतर्गत शुरू की गई पहल ‘तमिल करकलाम’ आइए तमिल सीखें जिले के स्कूलों में नई भाषाई ऊर्जा का संचार कर रही है। इस कार्यक्रम के तहत वाराणसी जिले के 50 स्कूलों में तमिल भाषा की कक्षाएँ शुरू की गई हैं, जिनमें तमिलनाडु से आए 50 शिक्षक दो पालियों में पढ़ा रहे हैं। इन कक्षाओं में माध्यमिक, बेसिक, निजी एवं कॉन्वेंट स्कूल शामिल हैं, जिससे विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्र इस पहल से लाभान्वित हो रहे हैं।

कक्षाएँ तमिल भाषा के परिचय पर केंद्रित हैं, जिसमें छात्रों को तमिल वर्णमाला, स्वर और व्यंजन की बुनियादी समझ कराई जा रही है। इसके साथ ही रोजमर्रा के उपयोग वाले वाक्य तमिल में बोलना भी सिखाया जा रहा है, जैसे — “आपका नाम क्या है?”, “मेरा नाम… है”, “आप किस स्कूल में पढ़ते हैं?”। शिक्षकों की विशेष टीम ने बंगाली टोला इंटर कॉलेज में दो घंटे की विशेष कक्षा भी आयोजित की, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक तमिल लिखना और बोलना सीखा।

छात्रों ने बताया कि उनके क्षेत्र में तमिलनाडु से आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी अधिक रहती है, ऐसे में तमिल सीखने से संवाद और समझ दोनों बेहतर होंगे। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय की इस पहल को व्यावहारिक एवं प्रेरणादायक बताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर आयोजित काशी-तमिल संगमम् उत्तर एवं दक्षिण भारत की सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने वाला एक ऐतिहासिक सेतु बन चुका है। प्रतिभागी मानते हैं कि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना इस आयोजन के केंद्र में है, जो भाषाई ही नहीं बल्कि भावनात्मक एवं सांस्कृतिक एकता को भी मजबूती दे रही है।

2 दिसंबर से प्रारंभ हुई यह दो-सप्ताह की श्रृंखला तमिलनाडु और काशी को बौद्धिक, भाषाई और सांस्कृतिक रूप से और भी करीब ला रही है। इस वर्ष 1,400 से अधिक प्रतिनिधि छात्र, शिक्षक, लेखक, मीडिया प्रतिनिधि, पेशेवर, कृषि विशेषज्ञ, महिलाएँ, शिल्पकार एवं आध्यात्मिक विद्वान भाग ले रहे हैं, जिससे यह आयोजन राष्ट्रीय एकता का श्रेष्ठ उदाहरण बन गया है।