ICGS सार्थक की खाड़ी तैनाती से भारत-कुवैत समुद्री सहयोग और रणनीतिक साझेदारी मजबूत
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
आईसीजीएस सार्थक का कुवैत आगमन भारत–कुवैत समुद्री सुरक्षा सहयोग को नए आयाम देता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और परिचालन तालमेल बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
चार दिवसीय प्रवास में प्रदूषण नियंत्रण, SAR ऑपरेशन और समुद्री कानून प्रवर्तन पर संयुक्त अभ्यास दोनों देशों की समुद्री क्षमताओं को मजबूत करेंगे।
कुवैत के बाद ईरान और सऊदी अरब की नियोजित यात्राएँ भारत की खाड़ी क्षेत्र में व्यापक समुद्री साझेदारी और सामरिक समुद्री कूटनीति को दर्शाती हैं।
Delhi/ भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) का स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित अपतटीय गश्ती पोत (ओपीवी) आईसीजीएस सार्थक अपनी खाड़ी क्षेत्रीय तैनाती (OSD) के तहत 09 दिसंबर 2025 को कुवैत के सुवैख बंदरगाह पर पहुंचा। यह आगमन भारत-कुवैत समुद्री सहयोग में एक नए मील के पत्थर के रूप में देखा जा रहा है, जो न केवल परिचालन साझेदारी को मजबूत करता है, बल्कि सागर-क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास-दृष्टिकोण के तहत भारत की क्षेत्रीय प्रतिबद्धताओं को भी रेखांकित करता है।
आईसीजीएस सार्थक की यह यात्रा दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा, समुद्री प्रदूषण रोकथाम, खोज एवं बचाव (SAR) क्षमताओं तथा समुद्री कानून प्रवर्तन सहयोग को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। चार दिवसीय प्रवास के दौरान जहाज का चालक दल कुवैत तटरक्षक बल और विभिन्न समुद्री संगठनों के साथ कई महत्वपूर्ण गतिविधियों में भाग लेगा। इन गतिविधियों में वरिष्ठ अधिकारियों से शिष्टाचार मुलाकात, सामरिक समुद्री प्रतिष्ठानों का तकनीकी दौरा, संयुक्त प्रदूषण-रोधी ड्रिल, खोज एवं बचाव अभ्यास तथा कानून प्रवर्तन पर केंद्रित पेशेवर इंटरैक्शन शामिल हैं।
यात्रा के दौरान सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों पर भी विशेष जोर दिया जाएगा। संयुक्त योग सत्र, मैत्रीपूर्ण खेल मुकाबले और अनौपचारिक संवाद दोनों देशों की समुद्री सेनाओं के बीच विश्वास, आत्मीयता और परस्पर समझ को और गहरा करेंगे। इससे भविष्य में संयुक्त संचालन और सामरिक समन्वय को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
आईसीजीएस सार्थक की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब दिसंबर 2024 में भारत के प्रधानमंत्री की कुवैत यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग पर एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए थे। यह समझौता भारत–कुवैत संबंधों को रणनीतिक स्तर पर ऊँचाई देने, रक्षा सहयोग का दायरा बढ़ाने और समुद्री सुरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। ओपीवी की यह तैनाती MoU के उद्देश्यों को धरातल पर उतारने की दिशा में ठोस प्रगति का संकेत देती है।
कुवैत दौरे के बाद आईसीजीएस सार्थक ईरान और सऊदी अरब के बंदरगाहों की यात्रा करेगा, जो भारत की पश्चिम एशिया नीति में समुद्री कूटनीति के बढ़ते महत्व को दर्शाता है। इन दौरों से क्षेत्रीय स्थिरता, क्षमता निर्माण, समुद्री सहयोग और सुरक्षित समुद्री शासन को बढ़ावा मिलेगा। यह भारत की इस प्रतिबद्धता को मजबूत करता है कि वह हिंद-प्रशांत और खाड़ी क्षेत्र में एक विश्वसनीय, सक्रिय और जिम्मेदार समुद्री साझेदार बना रहे।