एआई के साथ बदलता भारत: ₹10,300 करोड़ निवेश से नई डिजिटल क्रांति

Tue 30-Dec-2025,09:17 PM IST +05:30

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एआई के साथ बदलता भारत: ₹10,300 करोड़ निवेश से नई डिजिटल क्रांति एआई-के-साथ-बदलता-भारत-(Photo-AI)
  • ₹10,300 करोड़ निवेश और 38,000 GPU के साथ इंडियाएआई मिशन भारत में समावेशी और किफायती एआई नवाचार को तेज़ी से आगे बढ़ा रहा है।

  • स्टैनफोर्ड रिपोर्ट में भारत तीसरा सबसे एआई-प्रतिस्पर्धी देश बना, स्टार्टअप्स और डेवलपर इकोसिस्टम को मिली वैश्विक मान्यता।

  • स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और शासन में एआई के व्यावहारिक उपयोग से आम नागरिकों के जीवन में वास्तविक बदलाव दिख रहा है।

Maharashtra / Nagpur :

नागपुर/ भारत आज एक ऐसे दौर से गुजर रहा है, जहाँ तकनीक केवल सहायक नहीं बल्कि दिशा तय करने वाली शक्ति बन चुकी है। देश में तेजी से उभरती आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्रांति ने सरकार, उद्योग और आम नागरिक,तीनों के काम करने के तरीके को बदलना शुरू कर दिया है। हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर हुए निवेश, नीति स्तर पर लिए गए फैसले और स्वदेशी तकनीक के विकास ने यह साफ कर दिया है कि भारत अब एआई को भविष्य की जरूरत नहीं, बल्कि वर्तमान की अनिवार्यता मान चुका है। राजधानी से लेकर छोटे शहरों और गांवों तक इसके प्रभाव दिखाई देने लगे हैं, चाहे वह स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो, खेती में सटीक सलाह, शिक्षा में डिजिटल पहुंच या फिर शासन व्यवस्था में पारदर्शिता। इस बदलाव के पीछे उद्देश्य सिर्फ तकनीकी प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि ऐसा विकास मॉडल तैयार करना है जिसमें अवसर सीमित वर्ग तक नहीं, बल्कि समाज के हर तबके तक पहुंचे। यही वजह है कि भारत की एआई यात्रा को केवल तकनीकी पहल नहीं, बल्कि समावेशी और दीर्घकालिक विकास की नींव माना जा रहा है।

भारत आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित विकास के एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। यह बदलाव केवल तकनीकी प्रगति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समावेशन, आर्थिक विस्तार और शासन सुधार की दिशा में एक व्यापक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले चुका है। ₹10,300 करोड़ से अधिक के निवेश और 38,000 से ज्यादा ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) की तैनाती के साथ, भारत ने एआई को प्रयोगशालाओं और कॉर्पोरेट दफ्तरों से निकालकर आम नागरिकों तक पहुँचाने का ठोस खाका तैयार किया है।

इंडियाएआई मिशन: भारत का एआई रोडमैप

मार्च 2024 में कैबिनेट द्वारा स्वीकृत इंडियाएआई मिशन का उद्देश्य स्पष्ट है-“भारत में एआई बनाना और एआई को भारत के लिए उपयोगी बनाना।” पांच वर्षों के लिए ₹10,371.92 करोड़ के बजट के साथ यह मिशन भारत को वैश्विक एआई नेतृत्व की ओर ले जाने का प्रयास है। शुरुआत में 10,000 जीपीयू का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 38,000 से अधिक हो चुकी है, जिससे स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं और सरकारी संस्थानों को किफायती दरों पर विश्वस्तरीय कंप्यूटिंग शक्ति मिल रही है।

जीपीयू की उपलब्धता ₹65 प्रति घंटे की सब्सिडी दर पर सुनिश्चित की गई है, जो भारत जैसे विकासशील देश के लिए एआई नवाचार को लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

भारत का वर्तमान एआई इकोसिस्टम

भारत का प्रौद्योगिकी क्षेत्र इस समय तेज़ी से विस्तार कर रहा है। वर्ष 2025 में इसके वार्षिक राजस्व के 280 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार करने का अनुमान है। प्रौद्योगिकी और एआई इकोसिस्टम में 60 लाख से अधिक लोग कार्यरत हैं, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल कार्यबलों में से एक बनाता है।

देश में 1,800 से अधिक वैश्विक क्षमता केंद्र हैं, जिनमें 500 से ज्यादा एआई पर केंद्रित हैं। लगभग 1.8 लाख स्टार्टअप्स में से 89% अपने उत्पादों या सेवाओं में एआई का उपयोग कर रहे हैं। नैसकॉम के एआई एडॉप्शन इंडेक्स में भारत को 4 में से 2.45 अंक मिले हैं, जो दर्शाता है कि 87% उद्यम सक्रिय रूप से एआई समाधान अपना रहे हैं।

वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के 2025 ग्लोबल एआई वाइब्रेंसी टूल के अनुसार, भारत एआई प्रतिस्पर्धात्मकता में दुनिया का तीसरा सबसे मजबूत देश बनकर उभरा है। यह उपलब्धि भारत की एआई प्रतिभा, अनुसंधान क्षमता, निवेश वातावरण, स्टार्टअप संस्कृति और नीति-शासन की मजबूती को दर्शाती है। गिटहब पर एआई परियोजनाओं में भारत दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, जो इसके डेवलपर समुदाय की ताकत को रेखांकित करता है।

इंडियाएआई मिशन के सात स्तंभ

इंडियाएआई मिशन सात मजबूत स्तंभों पर आधारित है-कंप्यूट अवसंरचना, एप्लिकेशन डेवलपमेंट, एआईकोश डेटासेट प्लेटफॉर्म, फाउंडेशन मॉडल्स, फ्यूचर स्किल्स, स्टार्टअप फंडिंग और सुरक्षित एवं विश्वसनीय एआई। एआईकोश प्लेटफॉर्म पर 20 क्षेत्रों के 5,500 से अधिक डेटासेट और 251 एआई मॉडल उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग डेवलपर्स अपने समाधान विकसित करने में कर रहे हैं। दिसंबर 2025 तक इस प्लेटफॉर्म पर 3.85 लाख विज़िट्स और 26,000 से अधिक डाउनलोड दर्ज किए गए।

देशज एआई मॉडल और भाषाई समावेशन

भारतजेन एआई, जो जून 2025 में लॉन्च हुआ, सरकार द्वारा वित्तपोषित पहला देशज मल्टीमॉडल बड़ा भाषा मॉडल है। यह 22 भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करता है और टेक्स्ट, आवाज़ और छवि समझने की क्षमता रखता है। वहीं भाषिणी प्लेटफॉर्म डिजिटल समावेशन का सशक्त उदाहरण बन चुका है, जो 20 भारतीय भाषाओं में अनुवाद और वॉइस-आधारित सेवाएँ प्रदान करता है।

स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा में एआई का प्रभाव

स्वास्थ्य सेवा में एआई डॉक्टरों को रोगों का जल्दी निदान करने, मेडिकल स्कैन विश्लेषण और व्यक्तिगत उपचार की सिफारिश में मदद कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म विशेषज्ञ सेवाओं को सुलभ बना रहे हैं।

कृषि क्षेत्र में एआई मौसम पूर्वानुमान, कीट निगरानी और फसल स्वास्थ्य विश्लेषण के माध्यम से किसानों को डेटा-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बना रहा है। किसान ई-मित्र जैसे एआई टूल सरकारी योजनाओं तक पहुँच आसान बना रहे हैं। शिक्षा में, सीबीएसई और एनसीईआरटी ने एआई आधारित पाठ्यक्रम और डिजिटल लर्निंग टूल्स को अपनाया है। YUVAi जैसे कार्यक्रम छात्रों को वास्तविक दुनिया की समस्याओं के समाधान हेतु एआई कौशल सिखा रहे हैं।

रोज़गार बनाम एआई: मिथक और वास्तविकता

एआई को अक्सर नौकरियों के लिए खतरा माना जाता है, लेकिन आँकड़े इसके उलट तस्वीर दिखाते हैं। नैसकॉम के अनुसार, भारत का एआई टैलेंट बेस 2027 तक 12.5 लाख से अधिक हो सकता है। डेटा साइंस, एआई इंजीनियरिंग और एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में नई नौकरियाँ तेज़ी से पैदा हो रही हैं। फ्यूचरस्किल्स प्राइम जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से लाखों पेशेवरों को री-स्किल और अप-स्किल किया जा रहा है।

शासन, न्याय और मौसम पूर्वानुमान में एआई

ई-कोर्ट्स परियोजना के तहत एआई का उपयोग अनुवाद, केस मैनेजमेंट और निर्णयों की सुलभता बढ़ाने में हो रहा है। मौसम विभाग एआई आधारित मॉडल्स से वर्षा, कोहरा और चक्रवात का सटीक पूर्वानुमान कर रहा है, जिससे आपदा प्रबंधन को मजबूती मिली है।

समावेशी सामाजिक विकास की दिशा में एआई

नीति आयोग की रिपोर्ट “समावेशी सामाजिक विकास के लिए एआई” बताती है कि एआई भारत के 49 करोड़ अनौपचारिक श्रमिकों को स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल और वित्तीय सेवाओं तक पहुँच दिला सकता है। डिजिटल श्रमसेतु मिशन इसी दिशा में एक बड़ा प्रयास है, जो तकनीक को श्रमिकों का सहयोगी बनाता है, प्रतिस्थापन नहीं।

भारत की एआई यात्रा केवल तकनीकी उन्नति की कहानी नहीं है, बल्कि यह समावेशन, सशक्तिकरण और दीर्घकालिक विकास का रोडमैप है। इंडियाएआई मिशन, देशज मॉडल्स, कौशल विकास और स्टार्टअप समर्थन के जरिए भारत 2047 के विकसित भारत विज़न की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। एआई यहाँ केवल मशीनों की बुद्धिमत्ता नहीं, बल्कि मानव क्षमता को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का माध्यम बन चुका है।