खालिदा जिया का निधन: BNP नेता की विवादास्पद राजनीतिक यात्रा और बांग्लादेश में खालीपन

Tue 30-Dec-2025,02:02 PM IST +05:30

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खालिदा जिया का निधन: BNP नेता की विवादास्पद राजनीतिक यात्रा और बांग्लादेश में खालीपन Bangladesh-First-Prime-Minister-Khaleda-Zia-Death.
  • खालिदा जिया का 80 वर्ष की उम्र में ढाका में निधन.

  • लंबे समय से बीमार थीं, वेंटिलेटर पर चल रहा था इलाज.

  • भारत और बांग्लादेश के नेताओं ने जताया गहरा शोक.

Dhaka Division / Dhaka :

Bangladesh / बांग्लादेश की राजनीति की एक लंबी और प्रभावशाली पारी का अंत हो गया है। बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख खालिदा जिया का मंगलवार सुबह करीब 6 बजे ढाका में निधन हो गया। वे 80 वर्ष की थीं और पिछले करीब 20 दिनों से वेंटिलेटर पर थीं। उनके निधन की पुष्टि परिवार और पार्टी नेताओं ने की है। लंबे समय से बीमार चल रहीं खालिदा जिया के जाने से न सिर्फ BNP बल्कि पूरे बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा खालीपन पैदा हो गया है।

खालिदा जिया कई गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं। उन्हें सीने में बार-बार इन्फेक्शन, लीवर और किडनी की समस्या, डायबिटीज, गठिया और आंखों से जुड़ी परेशानियां थीं। आखिरी दिनों में उनकी सांस लेने की दिक्कत काफी बढ़ गई थी, जिसके चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। तमाम प्रयासों के बावजूद डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके।

खालिदा जिया दो बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं—पहली बार 1991 से 1996 और दूसरी बार 2001 से 2006 तक। वे पूर्व राष्ट्रपति और BNP के संस्थापक जियाउर रहमान की पत्नी थीं। उनका राजनीतिक जीवन संघर्षों, आंदोलनों और टकरावों से भरा रहा। 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना ने उन्हें नजरबंद कर लिया था और वे कई महीनों तक कैद में रहीं। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की हार के बाद उन्हें रिहा किया गया।

पति जियाउर रहमान की 1981 में हत्या के बाद BNP बिखरने लगी थी। ऐसे समय में पार्टी नेताओं ने खालिदा जिया से नेतृत्व संभालने की अपील की। शुरुआत में वे राजनीति में सक्रिय नहीं होना चाहती थीं, लेकिन 1984 में उन्होंने BNP की कमान संभाली और धीरे-धीरे खुद को एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया। 1991 में लोकतांत्रिक चुनाव जीतकर वे बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं।

खालिदा जिया की राजनीति हमेशा विवादों और विरोध से जुड़ी रही। शेख हसीना के साथ उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता दशकों तक चली और बांग्लादेश की राजनीति इन्हीं दो नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती रही। भारत को लेकर उनका रुख अक्सर सख्त और टकराव वाला रहा। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने भारत को बांग्लादेश की जमीन से होकर रास्ता देने का विरोध किया और 1972 की भारत-बांग्लादेश मैत्री संधि को आगे बढ़ाने पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि बांग्लादेश की संप्रभुता और सुरक्षा सबसे ऊपर है।

हालांकि, बाद के वर्षों में भारत के साथ उनके रिश्तों में कुछ नरमी भी देखने को मिली। 2012 के बाद उन्होंने भरोसा दिलाया कि BNP सरकार बांग्लादेश की जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उनकी मुलाकातें हुईं और 2015 में मोदी के ढाका दौरे के दौरान दोनों नेताओं ने बातचीत की थी।

खालिदा जिया को कानूनी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। 2018 में उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में सजा सुनाई गई थी और लंबे समय तक वे जेल और इलाज के बीच रहीं। अगस्त 2024 में शेख हसीना के तख्तापलट के एक दिन बाद उन्हें रिहा किया गया, जिसके बाद वे बेहतर इलाज के लिए लंदन चली गई थीं। चार महीने बाद वे बांग्लादेश लौटीं, लेकिन तबीयत में ज्यादा सुधार नहीं हुआ।

उनके निधन पर बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शाहाबुद्दीन, अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस, शेख हसीना और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने शोक जताया है। मोहम्मद यूनुस ने तीन दिन के राष्ट्रीय शोक और जनाजे के दिन सरकारी छुट्टी का ऐलान किया है। BNP ने भी सात दिन के शोक की घोषणा की है।

खालिदा जिया के जाने के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति का एक युग खत्म हो गया है। अब यह देखना अहम होगा कि उनके बाद BNP किस दिशा में जाती है और देश की राजनीति किस नए मोड़ पर पहुंचती है।