भारत के दो गांधी परिवार: महात्मा गांधी का परिवार और नेहरू–गांधी राजनीतिक वंश का इतिहास
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Gandhi-Family
महात्मा गांधी का परिवार विचारधारा और त्याग का प्रतीक.
नेहरू–गांधी परिवार भारतीय राजनीति का प्रभावशाली वंश.
दोनों गांधी परिवारों की भूमिका और पहचान अलग.
AGCNN / भारत के इतिहास में “गांधी” नाम सुनते ही दो अलग-अलग लेकिन बेहद प्रभावशाली परिवारों की तस्वीर सामने आती है। एक वह परिवार, जिसने भारत को आज़ादी की राह दिखाई, नैतिकता और सत्य का पाठ पढ़ाया— महात्मा गांधी का परिवार। दूसरा वह परिवार, जिसने आज़ादी के बाद भारतीय राजनीति की दिशा तय की— नेहरू–गांधी परिवार। नाम एक जैसा है, लेकिन दोनों की भूमिका, यात्रा और पहचान अलग-अलग रही है।
महात्मा गांधी का परिवार: त्याग, संघर्ष और विचारों की विरासत
महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण लेकिन संस्कारवान परिवार में हुआ। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर रियासत में दीवान थे—ईमानदार, अनुशासित और कर्तव्यनिष्ठ। उनकी माता पुतलीबाई धार्मिक, सहनशील और करुणामयी थीं। गांधी जी के जीवन में सत्य, अहिंसा और आत्मसंयम की नींव यहीं पड़ी।
महात्मा गांधी (मोहनदास करमचंद गांधी) ने अपने निजी जीवन को भी राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनके चार पुत्र— हरिलाल गांधी, मणिलाल गांधी, रामदास गांधी और देवदास गांधी—अपने-अपने तरीके से पिता की छाया में पले, लेकिन यह छाया आसान नहीं थी। हरिलाल गांधी का जीवन सबसे अधिक संघर्षों से भरा रहा; वे पिता की अपेक्षाओं के बोझ को संभाल नहीं पाए। वहीं मणिलाल, रामदास और देवदास गांधी ने पत्रकारिता, सामाजिक सेवा और स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया।
महात्मा गांधी का परिवार सत्ता से दूर रहा। उन्होंने कभी अपने नाम या विरासत को राजनीतिक शक्ति में नहीं बदला। उनका “गांधी” एक विचार था—जो आज भी नैतिकता, सत्य और अहिंसा का प्रतीक है।
नेहरू–गांधी परिवार: राजनीति और सत्ता का वंश
दूसरी ओर नेहरू–गांधी परिवार भारत का सबसे चर्चित राजनीतिक परिवार माना जाता है। इसकी नींव मोतीलाल नेहरू ने रखी—एक प्रतिष्ठित वकील और स्वतंत्रता सेनानी। उनके पुत्र जवाहरलाल नेहरू आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और आधुनिक भारत की आधारशिला रखी।
जवाहरलाल नेहरू की पुत्री इंदिरा गांधी ने राजनीति में कदम रखा और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। उन्होंने कठिन फैसले लिए, आपातकाल जैसा विवादास्पद दौर भी देखा, और अंततः अपने ही अंगरक्षकों द्वारा हत्या का शिकार हुईं। इंदिरा गांधी का “गांधी” उपनाम उनके पति फिरोज गांधी से आया—यह उपनाम महात्मा गांधी से रक्त संबंध नहीं दर्शाता।
इंदिरा गांधी के पुत्र राजीव गांधी और संजय गांधी राजनीति में आए। संजय गांधी का असमय निधन हुआ, जबकि राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने और बाद में आतंकवादी हमले में मारे गए। इसके बाद सोनिया गांधी ने राजनीति में प्रवेश किया और कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली। आज राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, जबकि मेनका गांधी और वरुण गांधी ने अपनी अलग राजनीतिक राह चुनी।
अतः महात्मा गांधी का परिवार विचारों की विरासत है, जबकि नेहरू–गांधी परिवार सत्ता और राजनीति की। एक ने देश को नैतिक दिशा दी, दूसरे ने देश का शासन संभाला। दोनों ने अपने-अपने तरीके से भारत को गढ़ा।
नाम भले एक हो— “गांधी”, लेकिन इतिहास में उनकी पहचान, भूमिका और प्रभाव अलग-अलग अध्याय हैं।