Sorry vs Thank You | रिश्तों को बचाने में “Sorry” और “Thank You” की अहमियत

Tue 30-Dec-2025,01:50 AM IST +05:30

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Sorry vs Thank You | रिश्तों को बचाने में “Sorry” और “Thank You” की अहमियत Sorry-vs-Thank-You-in-Relationships
  • “सॉरी” रिश्तों में जमी नाराज़गी को पिघलाता है.

  • “थैंक यू” भावनात्मक जुड़ाव को मजबूत करता है.

  • छोटे शब्द बड़े रिश्तों को बचा सकते हैं.

Maharashtra / Nagpur :

AGCNN / घर की खामोशी कभी-कभी सबसे ज़्यादा शोर करती है। डाइनिंग टेबल पर दो लोग बैठे हैं, पर बात नहीं हो रही। आँखें झुकी हुई हैं, मन भारी है। गलती बड़ी नहीं थी—बस एक कड़वा वाक्य, एक गलत लहजा। लेकिन वही लम्हा रिश्ते में दीवार बन गया।
क्योंकि उस पल एक शब्द नहीं बोला गया— “सॉरी”।

हम अकसर सोचते हैं कि प्यार, खून के रिश्ते या सालों की साथ-साथ की ज़िंदगी रिश्तों को अपने आप संभाल लेती है। पर रिसर्च कुछ और कहती है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, रिश्तों में दूरी का सबसे बड़ा कारण झगड़ा नहीं, बल्कि भावनाओं की अनदेखी है। और भावनाओं को सबसे सरल तरीके से मान देने वाले दो शब्द हैं— सॉरी और थैंक यू।

एक छोटी-सी कहानी
रीमा और अमित की शादी को दस साल हो चुके थे।
अमित ऑफिस से थका हुआ आया, रीमा ने शिकायत कर दी— “आपको घर की कोई फिक्र ही नहीं।”
अमित चुप हो गया।
रीमा ने सोचा, “वह समझ जाएगा।”
लेकिन अमित के मन में एक टीस रह गई— मेहनत की कद्र नहीं।

रात बीत गई, अगला दिन, फिर अगला…
दोनों साथ थे, पर दूर।

एक दिन रीमा ने अचानक कहा—
“अगर उस दिन तुम्हें बुरा लगा हो, तो सॉरी। और रोज़ हमारे लिए इतना करने के लिए थैंक यू।”

अमित की आँखें भर आईं।
वही शब्द, जो हफ्तों की चुप्पी तोड़ गए।
रिश्ता वहीं नहीं टूटा, क्योंकि किसी ने झुकना कमजोरी नहीं समझा।

“सॉरी” क्यों ज़रूरी है?
मनोवैज्ञानिक शोध बताता है कि माफी मांगना सामने वाले के दर्द को वैधता देता है।
यह यह नहीं कहता कि आप गलत हैं, बल्कि यह कहता है— “मैं तुम्हारी भावना समझता/समझती हूँ।”
जब यह शब्द नहीं बोला जाता, तो अहंकार बोलने लगता है और रिश्ता चुपचाप मरने लगता है।

“थैंक यू” क्यों रिश्तों की ऑक्सीजन है?
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की रिसर्च के अनुसार, कृतज्ञता व्यक्त करने वाले रिश्ते ज़्यादा लंबे और खुशहाल होते हैं।
जब हम “थैंक यू” कहते हैं, तो सामने वाला महसूस करता है कि उसकी कोशिशें दिख रही हैं।
वरना रोज़-रोज़ की कुर्बानियाँ धीरे-धीरे बोझ बन जाती हैं।

हम ये शब्द क्यों नहीं बोल पाते?
“मैं क्यों झुकूँ?”
“उसे समझना चाहिए।”
“शब्दों से क्या होता है?”

पर सच यह है— शब्द ही तो रिश्तों की नींव होते हैं।
कई रिश्ते इसलिए नहीं टूटते कि प्यार खत्म हो गया, बल्कि इसलिए कि इमोशनल कनेक्शन टूट गया।

अंत में…
अगर आज आपके रिश्ते में खामोशी है,
तो शायद एक छोटा-सा शब्द काफी है।

सॉरी— जो जमी हुई बर्फ पिघला दे।
थैंक यू— जो थके दिल को फिर से चलने की ताकत दे।

रिश्ते हमेशा बड़े त्याग नहीं मांगते,
कभी-कभी बस दो सच्चे शब्द।