सरकार का बड़ा कदम: CDP, NFSNM और MIDH से फसल विविधीकरण और किसानों की आय में बढ़ोतरी
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केंद्र सरकार एनएफएसएनएम और एमआईडीएच के माध्यम से कृषि में विविधीकृत वाणिज्यिक और बागवानी फसलों को बढ़ावा देकर किसानों की आय और उत्पादकता बढ़ा रही है।
सीडीपी के तहत हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी यूपी में धान क्षेत्र को दलहन, तिलहन और मोटे अनाज जैसी वैकल्पिक फसलों की ओर स्थानांतरित किया जा रहा है।
Delhi/ भारत सरकार कृषि क्षेत्र में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठा रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएनएम-वाणिज्यिक फसल) के तहत कपास, जूट, गन्ना जैसी वाणिज्यिक फसलों के विविधीकृत उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है, वहीं समेकित बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) लाभकारी बागवानी फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित कर रहा है।
इसके साथ ही, वर्ष 2013-14 से कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे मूल हरित क्रांति राज्यों में फसल विविधीकरण कार्यक्रम (सीडीपी) लागू कर रहा है, ताकि धान आधारित खेती क्षेत्र को दलहन, तिलहन, मोटे अनाज, पोषक अनाज, कपास जैसी वैकल्पिक फसलों की ओर स्थानांतरित किया जा सके।
सीडीपी किसानों को चार प्रमुख घटकों वैकल्पिक फसल प्रदर्शन, कृषि मशीनीकरण व मूल्य संवर्धन, साइट-विशिष्ट गतिविधियाँ और जागरूकता प्रशिक्षण के लिए सहायता प्रदान करता है। इसके साथ, राज्य सरकारें भी विविध फसलों को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही हैं। पंजाब में बाजरा सहित सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है तथा विभिन्न फल फसलों की गुणवत्तापूर्ण पौध उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।
हरियाणा में वर्ष 2020 से “मेरा पानी मेरी विरासत” योजना के तहत धान की जगह उच्च मूल्य वाली फसलों की ओर परिवर्तन प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे भूजल गिरावट का समाधान हो सके। सरकार के ये प्रयास किसानों के आय संवर्द्धन, जल संरक्षण और कृषि को अधिक सतत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।