भारत में पहला CCUS आर एंड डी फ्रेमवर्क लॉन्च, नेट ज़ीरो मिशन और औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन को मिलेगी रफ्तार
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CCUS R&D Framework औद्योगिक उत्सर्जन कम करने, नई तकनीक में सहयोग बढ़ाने और नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य की दिशा में रणनीतिक रोडमैप प्रदान करता है।
बिजली, इस्पात और सीमेंट जैसे कठिन क्षेत्रों में कार्बन कैप्चर परीक्षण केंद्र स्थापित कर उद्योग आधारित डीकार्बोनाइजेशन मॉडल को बढ़ावा दिया जा रहा है।
रूपरेखा मानव पूंजी, सुरक्षा मानक, नियामक ढांचा और निवेश मार्गों को मजबूत करते हुए CCUS-आधारित स्वदेशी इकोसिस्टम तैयार करने पर केंद्रित है।
Delhi/ भारत ने नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 2 दिसंबर 2025 को कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (CCUS) के लिए अपनी तरह का पहला अनुसंधान एवं विकास रूपरेखा (R&D Framework) लॉन्च किया। यह रूपरेखा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा तैयार की गई है, जिसे भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने शुभारंभ किया। उन्होंने इसे जलवायु परिवर्तन के समाधान हेतु समन्वित कार्रवाई, तकनीकी सहयोग और निवेश को तेज़ी से आगे बढ़ाने वाला एक क्रांतिकारी दस्तावेज बताया।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत अपने नेट ज़ीरो संकल्प की ओर आगे बढ़ रहा है, यह ढांचा तकनीकी उन्नति को गति देगा और औद्योगिक विकास एवं पर्यावरणीय संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करेगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. अभय करंदीकर ने विस्तार से बताया कि यह रोडमैप केवल नई तकनीकों को आगे बढ़ाने पर केंद्रित नहीं है बल्कि पहले से मौजूद समाधानों को व्यावसायिक स्तर पर उपयोग के लिए भी सशक्त करने का माध्यम बनेगा। उन्होंने यह भी कहा कि कार्बन कैप्चर और उपयोग के क्षेत्र में मानव संसाधन विकास, सुरक्षा मानक, नियामक ढांचा और साझा अवसंरचना प्रणाली इस परिवर्तन का आधार बनेंगे।
जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के बीच भारी उद्योग क्षेत्र — जैसे बिजली, इस्पात और सीमेंट — जिनमें कार्बन उत्सर्जन कम करना चुनौतीपूर्ण है, CCUS तकनीकों के माध्यम से डीकार्बोनाइजेशन के लिए सबसे बड़ी संभावना रखते हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा उद्योग-आधारित परीक्षण केंद्र स्थापित करने तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने ने इन क्षेत्रों में अनुसंधान को व्यवहारिक परिणामों से जोड़ने में मदद की है।
CCUS अनुसंधान एवं विकास रोडमैप सात वर्षों के अनुभव और उच्च स्तरीय विशेषज्ञ टास्क फोर्स की सिफारिशों पर आधारित है। यह तकनीकी नवाचार से लेकर वित्तपोषण, नीति-निर्माण, स्टार्ट-अप सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी तक समग्र रणनीति प्रस्तुत करता है। इस रूपरेखा के माध्यम से अगले दशक में भारत में CCUS इकोसिस्टम को व्यवहारिक, किफायती और बड़े पैमाने पर लागू करने की दिशा में प्रगति सुनिश्चित होगी।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं, उद्योग जगत, बहुपक्षीय संस्थानों और वैज्ञानिक समुदाय की गहन भागीदारी रही। इस अवसर पर डॉ. आशीष लेले और DST की वरिष्ठ वैज्ञानिक टीम ने CCUS तकनीकों में भारत की प्रगति और तीन राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना संबंधी जानकारी साझा की। यह शुभारंभ भारत के नेट-ज़ीरो लक्ष्य 2070, सतत विकास लक्ष्यों और विकसित भारत@2047 दृष्टि को सशक्त बनाने का महत्वपूर्ण चरण सिद्ध होगा।