दलहन आत्मनिर्भरता मिशन से तुअर-उड़द-मसूर उत्पादन बढ़ेगा, लक्ष्य 2031 तक 350 लाख टन तय
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दलहन आत्मनिर्भरता मिशन 11,440 करोड़ रुपये के बजट के साथ तुअर, उड़द और मसूर उत्पादन बढ़ाकर 2030-31 तक 350 लाख टन लक्ष्य हासिल करने पर केंद्रित है।
मिशन में जलवायु अनुकूल बीज, क्षेत्र विस्तार, फसलोपरांत भंडारण और प्रबंधन प्रौद्योगिकी के माध्यम से दलहन खेती के विस्तार को बढ़ावा दिया जाएगा।
Delhi/ भारत सरकार ने अक्टूबर 2025 में देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ नामक केंद्रीय प्रायोजित योजना शुरू की है। 11,440 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ यह मिशन वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक छह वर्षों की अवधि में संचालित होगा। मिशन का मुख्य उद्देश्य तुअर, उड़द और मसूर पर विशेष फोकस के साथ घरेलू दलहन उत्पादन में वृद्धि करना है, ताकि आयात पर निर्भरता खत्म हो सके। इसके तहत जलवायु अनुकूल बीज उत्पादन और उपलब्धता बढ़ाने, दलहन खेती का क्षेत्र विस्तार, तथा फसलोपरांत भंडारण व वैज्ञानिक प्रबंधन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के मानदंडों के अनुसार नेफेड और एनसीसीएफ द्वारा तुअर, उड़द और मसूर की चार वर्षों तक सुनिश्चित खरीद का प्रावधान रखा गया है, जिससे किसानों को स्थिर मूल्य और बाज़ार सुरक्षा मिल सके। मिशन का लक्ष्य 2030-31 तक देश में कुल दलहन उत्पादन को 350 लाख टन तक पहुंचाना है।
इसके साथ ही, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कृषि विस्तार उप-मिशन (एसएमएई) को भी लागू कर रहा है, जिसका उद्देश्य जिला स्तर पर कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) के माध्यम से विस्तार प्रणाली को किसान-प्रचलित और प्रौद्योगिकी-आधारित बनाना है। यह अभियान किसानों को प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीकों से जोड़कर उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।