खनन क्षेत्र में नई श्रम संहिताओं से श्रमिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा

Sat 06-Dec-2025,01:14 PM IST +05:30

ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

Follow Us

खनन क्षेत्र में नई श्रम संहिताओं से श्रमिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा
  • नई श्रम संहिताओं के लागू होने से खदान श्रमिकों को स्वास्थ्य, सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और समान कार्य परिस्थितियों की राष्ट्रव्यापी गारंटी प्राप्त होगी।

  • डिजिटल अनुपालन, एकल लाइसेंस और वेब–आधारित निरीक्षण के साथ खनन उद्योग में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और कानूनी प्रक्रियाएं अधिक सरल हुई हैं।

  • महिलाओं को भूमिगत खदान कार्य की अनुमति, प्रसूति लाभ विस्तार और किशोर श्रमिकों की सुरक्षा सुधार ने खनन क्षेत्र में समावेशी अवसरों को बढ़ावा दिया है।

Delhi / New Delhi :

भारत का खनन क्षेत्र देश की आर्थिक प्रगति का प्रमुख आधार रहा है, जो कच्चे माल की उपलब्धता, राजस्व, रोजगार और निर्यात के माध्यम से राष्ट्रीय विकास को गति देता है। उद्योग के निरंतर विस्तार के साथ श्रमिक सुरक्षा और कार्य परिस्थितियों में सुधार को अत्यधिक महत्व दिया गया है। इसी दिशा में सरकार द्वारा लागू की गई नई श्रम संहिताएं व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य परिस्थितियां (OSHW & WC) संहिता, 2020 और सामाजिक सुरक्षा (SS) संहिता, 2020 खनन क्षेत्र में श्रमिक अधिकारों और सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक सुधार लेकर आई हैं।

नई संहिताओं ने पुराने खदान अधिनियम, 1952 को प्रतिस्थापित करते हुए एक समान, पारदर्शी और आधुनिक श्रम ढांचा तैयार किया है, जिसमें श्रमिक कल्याण और व्यवसाय सुगमता दोनों को समान महत्व दिया गया है। इसके तहत कार्य समय में लचीलापन प्रदान करते हुए “भूमिगत एवं धरातल के ऊपर” श्रमिकों के काम के घंटे प्रतिदिन 8 और सप्ताह में अधिकतम 48 निर्धारित किए गए हैं। विश्राम अंतराल, ओवरटाइम भुगतान और साप्ताहिक अवकाश को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश लागू किए गए हैं, जिससे थकान रोकने और बेहतर जीवन-कार्य संतुलन सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।

स्वास्थ्य सुरक्षा प्रावधानों में क्रांतिकारी सुधार किए गए हैं। श्रमिकों के लिए निःशुल्क वार्षिक स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य किया गया है, जबकि पहले यह 3-5 वर्ष में एक बार होता था। 29 व्यावसायिक बीमारियों की अधिसूचना, निःशुल्क चिकित्सा सहायता और मुआवजा जैसे प्रावधान जोखिम भरे खनन कार्यों में श्रमिकों के लिए बड़ी सुरक्षा प्रदान करते हैं।

कल्याण सुविधाओं को और मजबूत करते हुए कैंटीन, रेस्ट शेल्टर, एम्बुलेंस तथा शिशु गृह जैसी व्यवस्थाओं की पात्रता सीमा 250 श्रमिकों से घटाकर 100 श्रमिक कर दी गई है। सवेतन अवकाश का अधिकार सुगम बनाते हुए 240 दिनों के बजाय 180 दिनों के कार्य पर पात्रता निर्धारित की गई है।

महिलाओं और युवाओं की सुरक्षा पर विशेष जोर दिया गया है। नई संहिताओं के तहत महिलाओं को अब "भूमिगत" खदानों में भी रोजगार की अनुमति है, बशर्ते उनकी सहमति एवं सुरक्षा उपाय सुनिश्चित हों। प्रसूति अवकाश को 26 सप्ताह तक बढ़ाया गया है, जबकि 18 वर्ष से कम आयु के श्रमिकों पर पूर्ण प्रतिबंध जारी है।

सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में अनिवार्य नियुक्ति पत्र, EPF, ESIC कवर, पोर्टेबिलिटी, ग्रेच्युटी और असंगठित श्रमिकों के लिए विशेष निधि जैसे प्रावधान श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

साथ ही, डिजिटल अनुपालन, एकल पंजीकरण एवं एकीकृत वार्षिक रिटर्न की व्यवस्था नियोक्ताओं पर बोझ कम करते हुए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देती है। "निरीक्षक से सुविधाकर्ता" मॉडल, वेब-आधारित निरीक्षण तथा थर्ड पार्टी प्रमाणन प्रणाली पारदर्शिता और दक्षता को और बढ़ाती है।

कुल मिलाकर ये सुधार खदान श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा, आर्थिक संरक्षण और लैंगिक–समावेशिता को ऊंचा उठाते हुए खनन उद्योग के सुचारू और सतत विकास को नई दिशा प्रदान कर रहे हैं।