टीएमसी निलंबन के बाद हुमायूं कबीर 22 दिसंबर को करेंगे नई पार्टी का ऐलान?

Mon 08-Dec-2025,11:28 PM IST +05:30

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टीएमसी निलंबन के बाद हुमायूं कबीर 22 दिसंबर को करेंगे नई पार्टी का ऐलान?
  • टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर 22 दिसंबर को नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं। मस्जिद की नींव रखने के प्रस्ताव पर ममता बनर्जी की नाराजगी बनी थी वजह।

West Bengal / Murshidabad :

 मुर्शिदाबाद/ टीएमसी से निलंबित होने के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नई हलचल तेज हो गई है। नदिया जिले के विधायक हुमायूं कबीर अब अपनी नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा करने की तैयारी में हैं। सूत्रों के अनुसार, वह 22 दिसंबर को एक बड़ी राजनीतिक घोषणा कर सकते हैं, जिससे प्रदेश की सियासत में नए समीकरण बनने की संभावना है।

हुमायूं कबीर को हाल ही में तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किया गया था, जिसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में उनके अगले कदम को लेकर कयास तेज थे। बताया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व, विशेषकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उनसे कथित तौर पर नाराज थीं। यह नाराजगी उस वक्त और बढ़ गई जब कबीर ने अपने क्षेत्र में एक मस्जिद की नींव रखने का प्रस्ताव दिया, जिसे लेकर पार्टी के भीतर मतभेद पैदा हो गए थे।

टीएमसी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि कबीर का यह कदम पार्टी लाइन से अलग माना गया, और इसी कारण उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। हालांकि, कबीर का कहना है कि उन्होंने हमेशा जनता के हित में काम किया और किसी भी परियोजना के पीछे उनका उद्देश्य केवल लोगों की सुविधा और धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देना था।

निलंबन के बाद कबीर के समर्थकों ने उनके पक्ष में आवाज उठानी शुरू कर दी है। उनका दावा है कि पार्टी ने बिना पर्याप्त वजह के कबीर को निशाना बनाया। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर कबीर नई पार्टी बनाते हैं, तो यह टीएमसी के लिए स्थानीय स्तर पर सिरदर्द साबित हो सकता है, खासकर नदिया और आसपास के इलाकों में जहाँ उनका जनाधार मजबूत माना जाता है।

सूत्र बताते हैं कि कबीर की नई पार्टी सामाजिक और क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। इसके साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय से बड़े स्तर पर समर्थन जुटाने की कोशिश भी होने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कबीर की राजनीतिक एंट्री 2026 विधानसभा चुनावों से पहले किस तरह का समीकरण बनाती है।

फिलहाल राजनीतिक माहौल इस घोषणा से पहले ही गर्म हो चुका है। 22 दिसंबर का दिन बंगाल की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जब कबीर आधिकारिक रूप से अपना नया रास्ता तय करेंगे।