लोकसभा में वंदे मातरम् बहस पर गौरव गोगोई का PM मोदी पर राजनीतिक रंग का आरोप
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संसद में वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर बहस के दौरान पीएम मोदी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का तीखा दौर देखने को मिला।
कांग्रेस के गौरव गोगोई ने पीएम मोदी पर चर्चा को राजनीतिक मोड़ देने और पंडित नेहरू पर अनुचित टिप्पणी करने का आरोप लगाया।
वंदे मातरम् पर बहस साहित्यिक महत्व से हटकर राजनीतिक आरोपों में उलझ गई, विपक्ष ने सरकार को वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया।
दिल्ली/ लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित विशेष चर्चा राजनीतिक गर्माहट के बीच तीखी नोकझोंक का मंच बन गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि पंडित नेहरू ने मुस्लिम लीग और मोहम्मद अली जिन्ना के सामने “झुकने” का रास्ता अपनाया। उनके इस बयान ने सदन में विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया पैदा की।
इसके बाद कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई चर्चा में शामिल हुए और प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि उन्होंने वंदे मातरम् जैसे भावनात्मक मुद्दे को भी राजनीतिक रंग देने की कोशिश की है। गोगोई ने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी चाहे जितना प्रयास कर लें, पंडित जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक योगदान को कभी कम नहीं कर सकते।
गोगोई ने जोर देते हुए कहा कि कांग्रेस ने ही सबसे पहले स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वंदे मातरम् का उद्घोष किया था। उनके अनुसार, भाजपा आज इसे राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है, जबकि राष्ट्रगीत हमेशा से भारतीय एकता और संघर्ष का प्रतीक रहा है।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण में वंदे मातरम् के इतिहास, साहित्यिक महत्व और स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका पर चर्चा के बजाय केवल “राजनीतिक आरोपों” पर जोर दिया गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह चर्चा देश की एकजुटता और सांस्कृतिक विरासत पर आधारित होनी चाहिए थी, न कि चुनावी आरोपों पर।
गोगोई ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को आज देश के युवाओं की बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक चुनौतियों पर भी बात करनी चाहिए थी, लेकिन उसके बजाय उन्होंने पुराने राजनीतिक आरोपों को दोहराया।
इस बहस के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच कई बार तीखी टिप्पणी, आरोप-प्रत्यारोप और बीच में हस्तक्षेप देखने को मिला। हालांकि, सदन में मौजूद कई सदस्यों ने वंदे मातरम् के 150 वर्षों के इतिहास को याद करते हुए इसकी साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर पर विस्तृत प्रकाश भी डाला।