PM KUSUM YOJNA के तहत 10,203 मेगावाट क्षमता स्थापित, किसानों के लिए ₹7,106 करोड़ की मदद जारी
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पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत 10,203 मेगावाट क्षमता स्थापित कर किसानों को सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई समाधान प्रदान करने की दिशा में बड़ी प्रगति दर्ज हुई है।
लघु एवं सीमांत किसानों को प्राथमिकता देते हुए 7,106 करोड़ रुपये की धनराशि राज्यों को उनकी मांग और कार्य प्रगति के अनुसार जारी की जा चुकी है।
प्रक्रिया सरलता, जागरूकता कार्यशालाओं और राज्यों के साथ नियमित समीक्षा बैठकों से योजना का क्रियान्वयन तेज और अधिक किसानों तक पहुंच सुनिश्चित हो रही है।
Delhi/ कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम) योजना पूरे देश में प्रभावी रूप से लागू की जा रही है। यह एक पूर्णतः मांग-आधारित योजना है, जिसके अंतर्गत राज्यों द्वारा भेजी गई मांग और उनके कार्यान्वयन की प्रगति के अनुसार क्षमता आवंटित की जाती है। योजना की विशेषता यह है कि इसमें व्यक्तिगत किसानों के साथ-साथ किसान समूह, किसान उत्पादक संगठन (FPO), जल उपयोगकर्ता संघ (WUA) और प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (PACS) भी भाग ले सकते हैं।
राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार 30 नवंबर 2025 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पीएम कुसुम योजना के विभिन्न घटकों के अंतर्गत कुल 10,203 मेगावाट बिजली क्षमता स्थापित की जा चुकी है। इसके अलावा राज्यों की मांग और प्रगति के आधार पर अब तक 7,106 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं, जो नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना को गति देने में महत्वपूर्ण है।
योजना के सुचारू क्रियान्वयन के लिए मंत्रालय ने प्रक्रियाओं को सरल बनाते हुए 17 जनवरी 2024 को व्यापक संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए थे। इन दिशानिर्देशों में खासतौर पर लघु एवं सीमांत किसानों तथा माइक्रो-इरिगेशन तकनीक अपनाने वाले किसानों को प्राथमिकता देने का प्रावधान शामिल है। इससे न केवल सिंचाई लागत कम होने में मदद मिलती है, बल्कि किसानों की ऊर्जा निर्भरता भी घटती है।
पीएम कुसुम योजना की पहुंच बढ़ाने और अधिक से अधिक लाभार्थियों को जोड़ने के लिए मंत्रालय समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम, क्षमता निर्माण कार्यशालाएं और राज्यों के साथ समीक्षा बैठकों का आयोजन करता है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य योजना से संबंधित प्रक्रियाओं को स्पष्ट करना, तकनीकी समाधान प्रदान करना और राज्यों को बेहतर क्रियान्वयन के लिए मार्गदर्शन देना है।
सरकार का लक्ष्य इस योजना के माध्यम से किसानों को सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई समाधान प्रदान करना, डीजल पंपों पर निर्भरता कम करना और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बनाना है। साथ ही, यह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने वाली भारत की प्रमुख योजनाओं में से एक बन चुकी है।