झींगा खरीद, NFDB बाजार विस्तार और ई-विपणन से घरेलू मत्स्य खपत बढ़ाने की दिशा में बड़ी पहल
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सरकार ने झींगे और ट्राउट जैसी उच्च पोषण वाली मछलियों की संस्थागत खपत बढ़ाने हेतु रक्षा व सुरक्षा प्रतिष्ठानों में थोक खरीद को बढ़ावा देने के प्रयास तेज किए।
NFDB ने देशभर में 22 थोक बाजार, 202 रिटेल मार्केट, 6410 कियोस्क और 27,301 फिश ट्रांसपोर्ट यूनिट्स को मंजूरी देकर सप्लाई चेन को मजबूत बनाया।
ई-विपणन, सोशल मीडिया अभियान, फिश फूड फेस्टिवल और ONDC जैसे प्लेटफॉर्मों से घरेलू मत्स्य खपत को बढ़ाने हेतु राज्य और केंद्र मिलकर कार्यरत हैं।
Delhi/ मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार घरेलू मत्स्य (फिश) की खपत बढ़ाने और देश में मत्स्य व्यवसाय को सुदृढ़ करने के लिए तेज़ी से कदम उठा रहा है। इसी दिशा में विभाग ने झींगे के उच्च पोषण मूल्य को देखते हुए रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय से उनके विभिन्न प्रतिष्ठानों के लिए झींगा की थोक खरीद करने का अनुरोध किया है। यह कदम मत्स्य उत्पादों की सरकारी संस्थानों में खपत बढ़ाने के साथ किसानों की आय में वृद्धि भी करेगा।
इसी तरह, कई राज्यों ने भी अपने स्तर पर महत्वपूर्ण पहल की है। उत्तराखंड सरकार ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत स्थानीय ट्राउट मछुआरे और उत्पादक अब सीधे आईटीबीपी चौकियों को ताज़ी ट्राउट मछली की आपूर्ति कर रहे हैं। यह सहयोग पहाड़ी क्षेत्रों के मछुआरों को स्थायी बाजार उपलब्ध कराता है और सैनिकों को गुणवत्तापूर्ण प्रोटीन प्राप्त होता है।
विगत तीन वर्षों में राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (NFDB) ने उपभोक्ताओं की पसंद, खपत पैटर्न और भविष्य की मांग से संबंधित कई परियोजनाओं को समर्थन दिया है। साथ ही, पूरे देश में मत्स्य के खुदरा और थोक बाजारों का विस्तार करने के लिए 22 थोक बाजार, 202 रिटेल मार्केट, 6410 फिश कियोस्क और 27,301 परिवहन इकाइयों — जैसे रेफ्रिजरेटेड ट्रक, लाइव फिश वेंडिंग सेंटर, मोटरसाइकिल और आइस बॉक्स वाले रिक्शा — को मंजूरी दी गई है।
घरेलू खपत बढ़ाने के लिए NFDB ने सोशल मीडिया अभियानों, स्थानीय भाषाओं के जिंगल, रचनात्मक टैगलाइन और राष्ट्रीय स्तर की ब्रांडिंग गतिविधियों की शुरुआत की है। इसके साथ ही 48 फिश फूड फेस्टिवल और बड़े फिश मेलों का आयोजन किया गया है, जिसने उपभोक्ताओं के बीच मत्स्य उत्पादों की मांग को बढ़ाया है।
NFDB e-NAM, ONDC और NERAMAC जैसे प्लेटफॉर्मों के रास्ते ई-विपणन को बढ़ावा दे रहा है, जिससे FFPOs और फिशर कोऑपरेटिव्स को बड़े डिजिटल बाजारों तक पहुंच मिल रही है। राज्य सरकारों को भी उनके ब्रांडिंग प्रयासों में सहयोग प्रदान किया जा रहा है ताकि घरेलू मत्स्य खपत तेज़ी से बढ़ाई जा सके