Shyok Tunnel 2025: 14 हज़ार फीट पर भारत का मास्टरस्ट्रोक, LAC पर बढ़ी ताकत
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श्योक टनल का उद्घाटन 9 दिसंबर 2025 को लद्दाख में हुआ। 14 हज़ार फीट पर बनी यह टनल LAC के पास सेना को सालभर कनेक्टिविटी और मजबूत लॉजिस्टिक सपोर्ट देती है।
श्योक टनल के उद्घाटन से लद्दाख में सालभर कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी, जिससे भारतीय सेना को LAC के पास अत्यंत तेज़ और सुरक्षित लॉजिस्टिक सपोर्ट मिलेगा।
13,700 फीट की ऊंचाई और माइनस 20°C जैसी परिस्थितियों में तैयार यह टनल BRO की इंजीनियरिंग क्षमता और भारत की सामरिक मजबूती दर्शाती है।
लद्दाख/ लद्दाख में भारत ने एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लेह में बहुप्रतीक्षित श्योक टनल (Shyok Tunnel) का उद्घाटन कर दिया है। यह टनल समुद्र तल से करीब 13,700–14,000 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है, जो इसे दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स में शामिल करती है। माइनस 20 डिग्री तापमान, तेज हवाएं, बर्फ़ीले तूफान और ऊंचाई की कठिन परिस्थितियों के बावजूद BRO (Border Roads Organisation) ने इस टनल को रिकॉर्ड समय में पूरा कर भारत की सामरिक क्षमता को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।
LAC पर भारत का मास्टरस्ट्रोक
श्योक टनल का महत्व सिर्फ नागरिक कनेक्टिविटी तक सीमित नहीं है। यह टनल सीधे LAC (Line of Actual Control) के करीब स्थित सैन्य ठिकानों तक सालभर सुगम पहुंच सुनिश्चित करती है। पहले जहां भारी बर्फ़बारी और भूस्खलन के चलते कई महीनों तक रास्ते बंद हो जाते थे, वहीं अब भारतीय सेना हर मौसम में आवश्यक सामग्री, हथियार, उपकरण, ईंधन और सैनिकों को तुरंत आगे भेज सकेगी।
यह टनल लद्दाख के दूरदराज़ बस्तियों, विशेषकर नुब्रा वैली, सियाचिन बेस कैंप, और श्योक नदी के पास के इलाकों में पहुंच को काफी आसान बनाती है। चीन के ठीक सामने खड़े इस अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से भारत की सामरिक स्थिति और भी मजबूत हो गई है।
चीन क्यों चिंतित है?
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने LAC के पास तेज गति से सड़क, टनल, पुल और एयरबेस विकसित किए हैं। दारबुक–श्योक–दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) रोड, सस्से–नुब्रा कनेक्टिविटी, अटल टनल और अब यह श्योक टनल यह सभी प्रोजेक्ट चीन के लिए रणनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण साबित हो रहे हैं।
चीन को चिंता इसलिए है क्योंकि
भारत की लॉजिस्टिक क्षमता बहुत तेज हो गई है।
सैनिकों की तैनाती और रोटेशन बेहद आसान और तेज हो गया है।
सैन्य उपकरणों की फॉरवर्ड मूवमेंट हर मौसम में संभव हो गई है।
श्योक टनल के खुलने से भारत का नॉर्दर्न फ्रंट अब और भी सुरक्षित, स्थिर और मजबूत बन गया है।
BRO की इंजीनियरिंग दुनिया के लिए मिसाल
BRO ने अत्यधिक चुनौतीपूर्ण प्राकृतिक परिस्थितियों में इस टनल को तैयार किया।
माइनस 20°C तक तापमान
बर्फ़बारी जो कई बार 10–15 फीट तक पहुंच जाती है
13,500–14,000 फीट की ऊंचाई पर मशीनरी चलाना
ऑक्सीजन की कमी
इन मुश्किलों के बावजूद, टनल में आधुनिक वेंटिलेशन सिस्टम, सुरक्षा उपकरण, अग्निशमन व्यवस्था और उच्च गुणवत्ता वाले डिज़ाइन मानदंडों का पालन किया गया। यह टनल लद्दाख के विकास को नई रफ्तार देगी। पर्यटन, व्यापार, स्वास्थ्य सेवाओं और स्थानीय रोजगार के अवसरों में तेज़ी आएगी।