MSME के तकनीकी और डिजिटल उन्नयन पर जोर, 20 नए टेक सेंटर और 65 निर्यात सुविधा केंद्र स्थापित
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सरकार 20 नए प्रौद्योगिकी केंद्र और 100 विस्तार केंद्र स्थापित कर एमएसएमई के कौशल, आधुनिक मशीनरी और तकनीकी क्षमता को मजबूत कर रही है।
उद्यम, जीईएम, टीआरईडीएस और ऑनलाइन विवाद निवारण प्लेटफॉर्म डिजिटलीकरण, भुगतान पारदर्शिता और बाज़ार उपलब्धता को तेज गति दे रहे हैं।
निर्यात सुविधा केंद्रों के माध्यम से एमएसएमई को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और निर्यात सहायता प्रदान की जा रही है।
Delhi/ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय देश के छोटे उद्योगों को प्रौद्योगिकी, कौशल और डिजिटलीकरण के नए युग से जोड़ने के लिए व्यापक स्तर पर सुधारात्मक पहलें लागू कर रहा है। मंत्रालय का कहना है कि एमएसएमई क्षेत्र न केवल रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास का बड़ा स्तंभ है, बल्कि देश की निर्यात क्षमता बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने तकनीकी उन्नयन, हरित तकनीक, गुणवत्ता सुधार और डिजिटल समाधान के विस्तार के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की हैं।
इन पहलों में एमएसएमई-क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सामान्य सुविधा केंद्र), टूल रूम/प्रौद्योगिकी केंद्र, हरित प्रौद्योगिकी वित्तपोषण योजना और एमएसएमई चैंपियंस योजना प्रमुख हैं। इसके साथ उद्यम पोर्टल, एमएसएमई चैंपियंस पोर्टल, सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम),टीआरईडीएस, एमएसएमई मार्ट,एमएसएमई संबंध और ऑनलाइन विवाद समाधान पोर्टल डिजिटल सक्षम शासन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन सेवाओं ने पंजीकरण, बाज़ार उपलब्धता, भुगतान सुविधा और व्यावसायिक पारदर्शिता को नया रूप दिया है।
मंत्रालय ने देश भर में 20 नए प्रौद्योगिकी केंद्र और 100 विस्तार केंद्र स्थापित करने के लिए "नए प्रौद्योगिकी केंद्रों/विस्तार केंद्रों की स्थापना" योजना भी शुरू की है। इन केंद्रों का उद्देश्य स्थानीय ज़रूरतों के अनुसार उद्योगों को उन्नत मशीनरी, प्रशिक्षण, कौशल विकास और परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराना है। 20 स्वीकृत स्थानों में गया (बिहार) और बोकारो (झारखंड) जैसे आकांक्षी जिले भी शामिल हैं, जिससे क्षेत्रीय औद्योगिक विकास को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है।
मंत्रालय ने 65 निर्यात सुविधा केंद्र (EFC) भी स्थापित किए हैं, जिनका उद्देश्य एमएसएमई को वैश्विक बाज़ार में मजबूत प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और निर्यात सहायता प्रदान करना है। इन पहलों से प्रौद्योगिकी अपनाने में तेजी, उत्पाद गुणवत्ता में सुधार, डिजिटल लेनदेन में पारदर्शिता और निर्यात क्षमता को प्रोत्साहन मिलने की संभावना व्यक्त की गई है।
लोकसभा में लिखित उत्तर देते हुए केन्द्रीय एमएसएमई राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि सरकार छोटे उद्योगों को आत्मनिर्भर, आधुनिक और विश्वस्तरीय बनाने के लिए निरंतर समर्पित है।