विधि मंत्रालय ने LCI REPORT की कार्रवाई और न्यायाधीशों की संपत्ति प्रकटीकरण प्रक्रिया मजबूत की
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
विधि आयोग की सभी रिपोर्टें संबंधित मंत्रालयों को भेजी जाती हैं, जिन पर चुनावी सुधारों व मानहानि कानूनों जैसे विषयों में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने 1 अप्रैल 2025 से न्यायाधीशों की संपत्ति घोषणाओं को वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से सार्वजनिक करने का ऐतिहासिक निर्णय लागू किया।
मंत्रालय ने संसद में बताया कि न्यायपालिका में पारदर्शिता, जवाबदेही और विधि आयोग के सुधारों के प्रभावी कार्यान्वयन पर सरकार निरंतर काम कर रही है।
Delhi/ विधि एवं न्याय मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारतीय विधि आयोग (एलसीआई) द्वारा प्रस्तुत सभी रिपोर्टें संबंधित मंत्रालयों और विभागों को परीक्षण, टिप्पणी और संभावित कार्यान्वयन के लिए नियमित रूप से भेजी जाती हैं। मंत्रालय इन रिपोर्टों पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए संबंधित विभागों से लगातार संपर्क बनाए रखता है और चुनावी सुधारों तथा मानहानि कानूनों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर तेजी से निर्णय लेने की प्रक्रिया को सुदृढ़ करता है। मंत्रालय संसद की संसदीय स्थायी समिति की अनुशंसाओं के अनुरूप हर वर्ष दोनों सदनों के समक्ष विधि आयोग की लंबित रिपोर्टों की अद्यतन स्थिति भी प्रस्तुत करता रहा है।
वर्तमान में भारतीय विधि आयोग में दो विधि अधिकारी तैनात हैं, जबकि समय-समय पर कई विधि सलाहकारों की नियुक्ति भी की जाती है, जिन्हें व्यापक विधिक अनुसंधान और रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाती है। यह तंत्र कानून सुधारों की दिशा में प्रभावी अनुसंधान और विश्लेषण की नींव को निरंतर मजबूत करता है।
"न्यायिक मानक और जवाबदेही विधेयक, 2010" जो 1 दिसंबर 2010 को लोकसभा में पेश किया गया था, 15वीं लोकसभा के भंग होने के कारण स्वतः निष्प्रभावी हो गया। हालांकि, उच्च न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुदृढ़ करने के लिए आंतरिक प्रक्रियाएँ पहले से लागू हैं। इन प्रक्रियाओं के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों तथा विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, अपने-अपने अधिकार क्षेत्र के न्यायाधीशों के आचरण से संबंधित शिकायतों की सुनवाई कर सकते हैं।
मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी में यह भी बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने 1 अप्रैल 2025 को एक ऐतिहासिक निर्णय लिया, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संपत्ति विवरण को न्यायालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना अनिवार्य कर दिया गया है। यह निर्णय न्यायपालिका में पारदर्शिता और विश्वास को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। न्यायाधीशों को पदभार ग्रहण करते समय और किसी महत्वपूर्ण संपत्ति की प्राप्ति पर अपनी संपत्ति का विवरण मुख्य न्यायाधीश को सौंपना अनिवार्य होगा, जिसकी जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी।
विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में कहा कि कानून सुधारों को मजबूत करना, न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ाना और विधि आयोग की सिफारिशों के त्वरित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है।