MSME निर्यात मिशन, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना और क्लस्टर परियोजनाओं से वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मजबूती
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25,060 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन से वित्तीय समर्थन, गुणवत्ता अनुपालन, लॉजिस्टिक्स और ब्रांडिंग सुधार के माध्यम से एमएसएमई प्रतिस्पर्धा मजबूत होगी।
क्लस्टर विकास कार्यक्रम के तहत 190 परियोजनाएँ स्वीकृत, एमएसएमई उत्पादकता बढ़ी और निर्यात योगदान 2024-25 में बढ़कर 48.55 प्रतिशत हुआ।
एमएसएमई अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना से 1361 उद्यमों को वैश्विक प्रदर्शनियों, निर्यात प्रमाणन और बाजार जोड़ में वित्तीय सहायता, निर्यात क्षमता में निरंतर सुधार।
Delhi/ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारतीय एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कई बहुपक्षीय पहल लागू की जा रही हैं। मंत्रालय की अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना के माध्यम से एमएसएमई उद्यमों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों, क्रेता–विक्रेता बैठकों और विदेशी बाजारों से जुड़ने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। यह योजना छोटे निर्यातकों को पंजीकरण–सह–सदस्यता प्रमाणन (RCMC), निर्यात बीमा प्रीमियम और गुणवत्ता प्रमाणन जैसी सेवाओं पर भी समर्थन प्रदान करती है। वर्ष 2020-21 से 2024-25 के बीच कुल 1361 एमएसएमई इस योजना से लाभान्वित हुए हैं।
सरकार ने निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाने के उद्देश्य से निर्यात संवर्धन मिशन (EPM) को भी मंजूरी दी है, जिसमें वित्त वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक के लिए 25,060 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह मिशन दो स्तंभों—निर्यात प्रोत्साहन (व्यापार वित्त सुविधा पर केंद्रित) और निर्यात दिशा (गैर-वित्तीय सक्षम तत्व)—के माध्यम से एमएसएमई निर्यातकों को वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धी बनाने का लक्ष्य रखता है। इसके तहत ब्रांडिंग सहायता, गुणवत्ता अनुपालन, लॉजिस्टिक्स, निर्यात भंडारण, अंतरदेशीय परिवहन प्रतिपूर्ति और क्षमता निर्माण जैसी सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी।
इसके साथ ही, एमएसई–सीडीपी क्लस्टर विकास कार्यक्रम के अंतर्गत एमएसई इकाइयों के लिए सामान्य सुविधा केंद्रों (CFC) और औद्योगिक क्षेत्रों के उन्नयन को बढ़ावा दिया जा रहा है। पिछले पाँच वर्षों में इस योजना के अंतर्गत 82 CFC और 108 बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं सहित कुल 190 परियोजनाएँ स्वीकृत की गई हैं।
एमएसएमई उत्पादों के निर्यात में हाल के रुझानों ने उत्साहजनक संकेत दिखाए हैं। वर्ष 2024-25 में समग्र व्यापारिक निर्यात में एमएसएमई क्षेत्र का योगदान बढ़कर 48.55% हो गया है, जो पिछले वर्ष 45.74% था। यह वृद्धि दर्शाती है कि सरकार की नीतियाँ उत्पादकता, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और निर्यात क्षमता को सुदृढ़ करने में सहायक साबित हो रही हैं।