AIM–HUL ने सर्कुलर इकॉनमी बढ़ाने हेतु राष्ट्रीय स्टार्टअप गतिवर्द्धन कार्यक्रम शुरू किया
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कार्यक्रम का लक्ष्य तीन वर्षों में प्लास्टिक, ई-वेस्ट और कपड़ा अपशिष्ट से समाधान विकसित करने वाले 50 उभरते स्टार्टअप को पहचानकर प्रोत्साहित करना है।
चयनित स्टार्टअप को विशेषज्ञ मार्गदर्शन, अनुदान वित्तपोषण और उद्योग-स्तरीय प्रायोगिक अवसर मिलेंगे, जिससे सस्टेनेबल नवाचार तेजी से बाजार तक पहुंचेगा।
एआईएम और एचयूएल की संयुक्त पहल सर्कुलर इकोनॉमी को गति देकर भारत में अपशिष्ट प्रबंधन, पुनर्चक्रण और हरित उद्योगों को नई दिशा प्रदान करेगी।
Delhi/ नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) और हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) ने भारत में पुनर्चक्रण पर आधारित अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर के स्टार्टअप गतिवर्द्धन कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह सहयोग एचयूएल की सर्कुलर भारत परियोजना के अंतर्गत लागू किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य अगले तीन वर्षों में पुनर्चक्रण, पुनर्भरण, पुन: उपयोग और अगली पीढ़ी की पैकेजिंग तकनीकों पर काम करने वाले 50 उच्च-सम्भावना वाले स्टार्टअप की पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित करना है।
कार्यक्रम के माध्यम से मुख्य रूप से प्लास्टिक पुनर्चक्रण से जुड़े स्टार्टअप को प्राथमिकता दी जाएगी, साथ ही कपड़ा और ई-कचरा जैसे उपभोग पश्चात अपशिष्ट से मूल्य वर्धित सामग्री निकालने वाले नवोन्मेषी उद्यमों को भी सहायता दी जाएगी। चयनित स्टार्टअप को उद्योग-अग्रणियों, नीति विशेषज्ञों और अनुभवी निवेशकों से मार्गदर्शन, अनुदान फंडिंग तथा प्रायोगिक अवसर दिए जाएंगे।
एआईएम के नवाचार नेटवर्क और नीतिगत विशेषज्ञता के साथ एचयूएल के औद्योगिक अनुभव का यह सम्मिलन भारत में सस्टेनेबल अपशिष्ट प्रबंधन समाधानों को तेज गति देने का उद्देश्य रखता है। एचयूएल के परिवर्तन एवं संवहनीयता अधिकारी बी.पी. बिद्दप्पा के अनुसार यह सहयोग ‘‘भारत के लिए संवहनीय विकास को गति देने का साझा संकल्प’’ है। वहीं एआईएम के मिशन निदेशक डॉ. दीपक बागला ने इसे ‘‘प्रधानमंत्री की संवहनीय विकास दृष्टि के अनुरूप अपशिष्ट को संसाधन में बदलने वाले नवाचारों को सशक्त बनाने वाला कदम’’ बताया।
एचयूएल देश की अग्रणी एफएमसीजी कंपनियों में से एक है, जबकि नीति आयोग का एआईएम भारत में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने वाला प्रमुख सरकारी मंच है। यह नया कार्यक्रम भारत की सर्कुलर इकोनॉमी को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति माना जा रहा है।