चीनी अरबपति क्यों सरोगेसी के जरिए करा रहे अमेरिका में बच्चों का जन्म?
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चीनी अरबपति सरोगेसी के जरिए अमेरिका में बच्चों का जन्म क्यों करा रहे हैं? जानिए नागरिकता फायदे, कानून, कारण और नैतिक विवाद।
चीन में सरोगेसी पर प्रतिबंध और विदेशों के कानूनी लूपहोल इस ट्रेंड को बढ़ावा दे रहे हैं। यह ट्रेंड वैश्विक असमानता, नैतिक सवाल और अमीर वर्ग की भविष्य सुरक्षा रणनीति को उजागर करता है।
दिल्ली/ हाल के वर्षों में एक दिलचस्प और विवादास्पद वैश्विक ट्रेंड सामने आया है। कई चीनी अरबपति और अति-धनाढ्य परिवार अपने बच्चों का जन्म अमेरिका में कराना पसंद कर रहे हैं, वह भी सरोगेसी (Surrogacy) के जरिए। यह फैसला केवल निजी नहीं, बल्कि राजनीतिक, कानूनी और नैतिक पहलुओं से भी जुड़ा हुआ है।
इस ट्रेंड की सबसे बड़ी वजह है अमेरिका में जन्म से मिलने वाली नागरिकता। अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के तहत, अमेरिका की जमीन पर जन्म लेने वाला हर बच्चा स्वतः अमेरिकी नागरिक बन जाता है। इससे बच्चों को भविष्य में बेहतर शिक्षा, नौकरी, सोशल सिक्योरिटी और वैश्विक यात्रा की आज़ादी मिलती है। चीनी अरबपतियों के लिए यह उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने का एक मजबूत तरीका बन चुका है।
दूसरी अहम वजह है चीन के सख्त जनसंख्या और परिवार कानून। हालांकि चीन ने वन-चाइल्ड पॉलिसी में ढील दी है, लेकिन सरोगेसी आज भी मुख्य भूमि चीन में गैरकानूनी है। ऐसे में अमीर परिवार विदेशों की ओर रुख करते हैं, जहां सरोगेसी को लेकर कानून अपेक्षाकृत स्पष्ट या लचीले हैं।
अमेरिका इस मामले में एक पसंदीदा गंतव्य बन गया है, क्योंकि यहां लक्ज़री सरोगेसी एजेंसियां काम कर रही हैं। ये एजेंसियां मेडिकल सुविधा, कानूनी प्रक्रिया, सरोगेट मदर, गोपनीयता और नागरिकता से जुड़े सभी इंतज़ाम करती हैं। इन सेवाओं की लागत लाखों डॉलर तक हो सकती है, लेकिन अरबपतियों के लिए यह कीमत उनके बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के सामने छोटी लगती है।
हालांकि इस ट्रेंड ने नैतिक विवाद भी खड़े कर दिए हैं। आलोचकों का कहना है कि वैश्विक सरोगेसी बाज़ार अमीर और गरीब के बीच असमानता को उजागर करता है। कई बार आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं सरोगेट मदर बनती हैं, जिससे शोषण, स्वास्थ्य जोखिम और भावनात्मक नुकसान की आशंका बढ़ जाती है।
इसके अलावा, कानूनी खामियां भी अहम भूमिका निभाती हैं। चीन में प्रतिबंध के बावजूद विदेश में जन्मे बच्चों को कानूनी रास्तों से वापस लाया जा सकता है। इससे कानून की भावना पर सवाल उठते हैं और नीति निर्माताओं की चिंता बढ़ती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह ट्रेंड सिर्फ नागरिकता का मामला नहीं, बल्कि राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं से जुड़ी रणनीति भी है। विदेशी नागरिकता को एक तरह की बीमा पॉलिसी के रूप में देखा जा रहा है। यह पूरा मुद्दा दिखाता है कि कैसे धन, कानून और नैतिकता वैश्विक स्तर पर आपस में टकरा रहे हैं।