एनोमिनस RTI की सच्चाई: कानून क्या कहता है और विकल्प कौन से हैं
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RTI Act 2005 के तहत सूचना मांगने के लिए आवेदक का नाम और संपर्क विवरण अनिवार्य, एनोमिनस RTI को कानून मान्यता नहीं देता।
ऑनलाइन RTI पोर्टल पर भी बिना पहचान आवेदन संभव नहीं, गलत जानकारी पर आवेदन सीधे निरस्त किया जा सकता है।
पहचान छिपानी हो तो व्हिसलब्लोअर, लोकपाल और सतर्कता आयोग जैसे वैकल्पिक कानूनी मंच अधिक सुरक्षित विकल्प।
नागपुर/ सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act 2005) ने नागरिकों को सरकार से जानकारी मांगने का सशक्त अधिकार दिया है। लेकिन हाल के वर्षों में एक सवाल बार-बार उठता है क्या एनोमिनस RTI (बिना नाम-पते के RTI) दायर की जा सकती है? कई लोग पहचान उजागर होने के डर से सूचना मांगना चाहते हैं, पर कानून इस बारे में क्या कहता है, इसे समझना जरूरी है।
एनोमिनस RTI क्या होती है
एनोमिनस RTI का अर्थ है ऐसी सूचना-अर्जी जिसमें आवेदक अपना नाम, पता या संपर्क विवरण नहीं देता। आमतौर पर इसका उद्देश्य व्यक्तिगत सुरक्षा, नौकरी पर खतरे या सामाजिक दबाव से बचना होता है। हालांकि, RTI Act की मौजूदा व्यवस्था इस प्रकार की अर्जी को मान्यता नहीं देती।
RTI Act 2005 में क्या प्रावधान है
RTI Act की धारा 6(1) के अनुसार, कोई भी नागरिक लिखित या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सूचना मांग सकता है, लेकिन आवेदन में आवेदक का नाम और संपर्क विवरण देना आवश्यक है। कारण बताना जरूरी नहीं, पर पहचान बताना अनिवार्य है।
इसके अलावा, सूचना देने के बाद अपील, शुल्क वापसी या अतिरिक्त जानकारी के लिए विभाग को आवेदक से संपर्क करना पड़ता है। इसलिए बिना पहचान के RTI आवेदन तकनीकी और कानूनी दोनों स्तरों पर अस्वीकार्य माना जाता है।
क्या ऑनलाइन RTI में एनोमिनस संभव है
RTI Online Portal पर आवेदन करते समय नाम, पता, मोबाइल/ई-मेल अनिवार्य फील्ड होते हैं। गलत या अपूर्ण जानकारी देने पर आवेदन निरस्त किया जा सकता है। यानी ऑनलाइन भी एनोमिनस RTI संभव नहीं।
फिर लोग “एनोमिनस RTI” क्यों कहते हैं
व्यवहार में “एनोमिनस RTI” शब्द का प्रयोग अक्सर पहचान छिपाकर शिकायत के अर्थ में किया जाता है, न कि RTI आवेदन के रूप में। यह भ्रम इसलिए भी पैदा होता है क्योंकि कुछ संस्थानों में शिकायतें बिना नाम के स्वीकार की जाती हैं, पर वह RTI नहीं होतीं।
पहचान छिपाकर सूचना/शिकायत के वैकल्पिक रास्ते
यदि कोई व्यक्ति पहचान उजागर किए बिना अनियमितता या भ्रष्टाचार की ओर ध्यान दिलाना चाहता है, तो RTI के बजाय ये विकल्प अपनाए जा सकते हैं-
1. व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम
गंभीर भ्रष्टाचार या सत्ता के दुरुपयोग की जानकारी सुरक्षित माध्यम से साझा करने का प्रावधान। कुछ मामलों में पहचान गोपनीय रखी जा सकती है।
2. केंद्रीय/राज्य सतर्कता आयोग (CVC/SVC) में शिकायत
कई विभाग शिकायत स्वीकार करते हैं; हालांकि एनोमिनस शिकायतों पर कार्रवाई सीमित हो सकती है, पर तथ्य मजबूत हों तो संज्ञान लिया जाता है।
3. लोकपाल/लोकायुक्त
उच्च पदस्थ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत का मंच। यहां भी पहचान सुरक्षा के प्रावधान हैं, RTI जैसा आवेदन नहीं।
4. ऑडिट/नियामक संस्थाएं
CAG, नियामक प्राधिकरणों या विभागीय विजिलेंस को दस्तावेज़ी शिकायत भेजी जा सकती है।
पहचान की सुरक्षा कैसे रखें, अगर RTI जरूरी हो
यदि RTI ही करना आवश्यक हो, तो कुछ व्यावहारिक सावधानियां मदद कर सकती हैं-
पता के रूप में पोस्ट बॉक्स या कार्यस्थल के बजाय सुरक्षित डाक पता दें।
ई-मेल आधारित संचार चुनें।
केवल दस्तावेज़-आधारित, तथ्यात्मक सूचना मांगें; आरोपात्मक भाषा से बचें।
जरूरत पड़े तो अपील/शिकायत के लिए समय-सीमा और रिकॉर्ड सुरक्षित रखें।
गलत जानकारी देने का जोखिम
कुछ लोग फर्जी नाम-पते से RTI दायर करने की कोशिश करते हैं। यह न केवल आवेदन निरस्त होने का कारण बनता है, बल्कि भविष्य में विश्वसनीयता भी प्रभावित कर सकता है। कानून का उद्देश्य पारदर्शिता है, छल नहीं।
स्पष्ट है कि RTI Act 2005 के तहत एनोमिनस RTI कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है। पहचान बताए बिना सूचना पाने की चाह रखने वालों को RTI के बजाय शिकायत, व्हिसलब्लोअर या लोकपाल जैसे वैकल्पिक मंचों का उपयोग करना चाहिए। सही मंच, सही प्रक्रिया और तथ्यात्मक प्रस्तुति यही सुरक्षित और प्रभावी रास्ता है।