UGC होगा इतिहास: VBSA बनेगा देश की उच्च शिक्षा का नया एकीकृत नियामक
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UGC, AICTE और NCTE के विलय से बनेगा VBSA, जिससे देश की उच्च शिक्षा के लिए एकीकृत और पारदर्शी नियामक ढांचा लागू होगा
VBSA के तहत पहली बार IIT और IIM भी आएंगे समान नियामक दायरे में, सभी संस्थानों पर लागू होंगे एक जैसे नियम
नियम उल्लंघन पर 75 लाख तक जुर्माना और अवैध संस्थान खोलने पर 2 करोड़ रुपये तक की सख्त कार्रवाई का प्रावधान
दिल्ली/ भारत की उच्च शिक्षा व्यवस्था में अब तक का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को समाप्त कर उसकी जगह विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान (VBSA) के गठन का निर्णय लिया है। यह नया निकाय देश की सभी उच्च शिक्षा संस्थाओं का एकीकृत नियामक होगा, जिससे वर्षों से चली आ रही बहु-नियामक व्यवस्था खत्म हो जाएगी।
UGC की स्थापना 28 दिसंबर 1953 को भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने की थी। 1956 में संसद के अधिनियम के तहत इसे वैधानिक दर्जा मिला। दशकों तक UGC ने विश्वविद्यालयों को मान्यता देने, शिक्षा के मानक तय करने और उच्च शिक्षा की दिशा निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन समय के साथ UGC, AICTE और NCTE जैसे अलग-अलग नियामकों की मौजूदगी से नियमों की दोहराव, निर्णयों में देरी और संस्थानों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई।
इसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने VBSA के गठन का फैसला लिया है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार, एकीकृत नियामक से नीतिगत फैसले तेज होंगे, पारदर्शिता बढ़ेगी और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
VBSA के तहत पहली बार IIT और IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी एक साझा नियामक ढांचे में आएंगे। अब तक ये संस्थान अलग-अलग अधिनियमों के तहत संचालित होते थे। इसके बाद केंद्रीय, राज्य, निजी विश्वविद्यालयों के साथ-साथ ओपन यूनिवर्सिटी, डिजिटल और ऑनलाइन शिक्षा संस्थानों पर भी समान नियम लागू होंगे।
VBSA की संरचना तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित होगी।
पहला, विकसित भारत शिक्षा विनियम परिषद, जो नियमन और प्रशासन की जिम्मेदारी निभाएगी।
दूसरा, विकसित भारत शिक्षा गुणवत्ता परिषद, जो प्रत्यायन और मान्यता का काम देखेगी।
तीसरा, विकसित भारत शिक्षा मानक परिषद, जो शैक्षणिक और अकादमिक मानक तय करेगी।
नए कानून में सख्त प्रावधान भी शामिल किए गए हैं। नियमों के उल्लंघन पर 10 लाख से 75 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। बिना अनुमति के उच्च शिक्षा संस्थान खोलने पर दो करोड़ रुपये तक का जुर्माना प्रस्तावित है। इससे शिक्षा के व्यावसायीकरण और फर्जी संस्थानों पर लगाम लगाने की उम्मीद है।
VBSA और उसकी तीनों परिषदों के अध्यक्षों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होगा, जिसे बढ़ाकर पांच साल तक किया जा सकेगा। कर्तव्यों में लापरवाही की स्थिति में राष्ट्रपति को उन्हें हटाने का अधिकार भी होगा।
कुल मिलाकर, VBSA का गठन भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली को अधिक सरल, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।