अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण को नई गति, जेडसीसी और यूनेस्को पहल मजबूत

Thu 18-Dec-2025,08:52 PM IST +05:30

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अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण को नई गति, जेडसीसी और यूनेस्को पहल मजबूत
  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए संस्कृति मंत्रालय, जेडसीसी और संगीत नाटक अकादमी की पहल, गुरु-शिष्य योजना और यूनेस्को नामांकन।

  • छठ महापर्व का यूनेस्को नामांकन, भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर सशक्त करने की पहल।

Delhi / Delhi :

दिल्ली/ भारत में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage–ICH) के संरक्षण और संवर्धन को सुदृढ़ करने के लिए संस्कृति मंत्रालय द्वारा बहु-स्तरीय प्रयास किए जा रहे हैं। अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की राष्ट्रीय सूची का केंद्रीय स्तर पर संधारण संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत संगीत नाटक अकादमी (SNA) द्वारा किया जाता है। यह सूची राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य हितधारकों से प्राप्त पात्र तत्त्वों के प्रलेखन के आधार पर नियमित रूप से अद्यतन की जाती है। इसमें वंचित, जनजातीय एवं स्वदेशी परंपराओं से जुड़े तत्त्वों को भी निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार सम्मिलित किया जाता है।

संस्कृति मंत्रालय के जोनल सांस्कृतिक केंद्र (ZCCs) अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ZCCs के अंतर्गत संचालित गुरु-शिष्य परंपरा योजना के माध्यम से वरिष्ठ कलाकारों द्वारा शिष्यों को विभिन्न कला रूपों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इस योजना में दुर्लभ और लुप्तप्राय कला रूपों को विशेष प्राथमिकता दी जाती है। योजना के तहत गुरु को ₹7,500, संगतकार को ₹3,750 और शिष्यों को ₹1,500 प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है, जो न्यूनतम छह माह से अधिकतम एक वर्ष तक देय होता है।

ZCCs उभरते कलाकारों को मंच प्रदान करने के साथ-साथ विद्यार्थियों और युवाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। शैक्षणिक संस्थानों और स्थानीय समुदायों के सहयोग से पीढ़ी-दर-पीढ़ी ज्ञान हस्तांतरण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन प्रयासों से न केवल संकटग्रस्त कला रूपों का पुनर्जीवन हुआ है, बल्कि युवाओं में पारंपरिक सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों के प्रति रुचि भी बढ़ी है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने के उद्देश्य से छठ महापर्व का नामांकन दस्तावेज़ तैयार किया गया है। यह दस्तावेज़ संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की नोडल एजेंसी, संगीत नाटक अकादमी द्वारा क्षेत्रीय निकायों और अन्य हितधारकों के सहयोग से बनाया गया और यूनेस्को को 2026–27 चक्र के लिए मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में सम्मिलित किए जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।

इसके अतिरिक्त, सभी ZCCs युवाओं पर केंद्रित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं, जिनमें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव, सांस्कृतिक उत्सव और अंतर-राज्यीय विनिमय कार्यक्रम शामिल हैं। कार्यशालाओं, प्रशिक्षण शिविरों और शिल्प प्रदर्शनियों के माध्यम से लोक नृत्य, संगीत, रंगमंच और शिल्प के व्यावहारिक कौशल प्रदान किए जा रहे हैं।

डिजिटल युग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, ZCCs द्वारा लोक कला रूपों, लोककथाओं और मौखिक इतिहास का डिजिटल प्रलेखन भी किया जा रहा है। इन पहलों से अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के साथ-साथ उसका व्यापक प्रसार सुनिश्चित हो रहा है। यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से दी।