चुनाव आयोग की कार्रवाई: तमिलनाडु की 42 राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द, 474 दल सूची से बाहर

Sun 21-Sep-2025,08:46 PM IST +05:30

ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

Follow Us

चुनाव आयोग की कार्रवाई: तमिलनाडु की 42 राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द, 474 दल सूची से बाहर Election Commission TN 42 parties deregistration
  • तमिलनाडु की 42 राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द.

  • 474 निष्क्रिय राजनीतिक दलों को सूची से हटाया गया.

  • एमएमके, केएमडीके और टीएमएमके सहित अन्य दल भी प्रभावित.

Delhi / Delhi :

Delhi / चुनाव आयोग ने एक बार फिर निष्क्रिय राजनीतिक दलों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। आयोग ने तमिलनाडु में 42 राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। यह कदम अगले साल होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले बेहद अहम माना जा रहा है। इन 42 दलों में सत्तारूढ़ डीएमके (DMK) और बीजेपी (BJP) के सहयोगी दल भी शामिल हैं। आयोग ने यह कार्रवाई मुख्य रूप से दो कारणों से की है – पहला, लगातार छह साल तक कोई चुनाव न लड़ने की वजह से और दूसरा, वित्तीय लेखा-जोखा एवं चुनावी खर्च की रिपोर्ट दाखिल न करने की वजह से।

देशभर में चुनाव आयोग ने अब तक 474 राजनीतिक दलों को निष्क्रिय मानते हुए पंजीकृत दलों की सूची से बाहर किया है। अकेले तमिलनाडु में 42 दलों को रद्द किया गया है। इसके अलावा पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2021-22, 2022-23, 2023-24) में 39 और राजनीतिक दलों की पहचान की गई है, जिन्होंने चुनाव तो लड़ा लेकिन वार्षिक ऑडिट अकाउंट और चुनावी खर्च का ब्यौरा आयोग को नहीं सौंपा। यह सभी दल अब जांच के दायरे में हैं और यदि नियमों का पालन नहीं किया गया तो इन पर भी कार्रवाई हो सकती है।

जिन दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है, उनमें मनिथानेया मक्कल काची (एमएमके), कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके), और तमिलागा मक्कल मुनेत्र कड़गम (टीएमएमके) शामिल हैं। एमएमके और केएमडीके ने पिछला विधानसभा और लोकसभा चुनाव डीएमके के टिकट पर लड़ा था और इनके विधायक भी हैं। वहीं, टीएमएमके ने पिछला लोकसभा चुनाव बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा मणिथानेया जननायगा काची (एमजेके), पेरुंथलाइवर मक्कल काची और अन्य छोटे दल भी इस कार्रवाई की जद में आए हैं।

चुनाव आयोग का कहना है कि यह फैसला चुनावी प्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। आयोग ने साफ किया है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29A के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को विशेष अधिकार दिए जाते हैं जैसे कि चुनाव चिन्ह और टैक्स छूट। लेकिन यदि कोई पार्टी छह साल तक लगातार चुनाव नहीं लड़ती या नियमों का पालन नहीं करती, तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाता है।

गौरतलब है कि पिछले दो महीनों में ही चुनाव आयोग 808 राजनीतिक दलों को सूची से हटा चुका है। इसके अलावा 359 और दलों को लिस्ट से हटाने की प्रक्रिया जारी है। यदि ये दल भी जरूरी दस्तावेज और मानदंड पूरे नहीं करते, तो आयोग जल्द ही इन्हें भी सूची से बाहर कर देगा। इस तरह कुल मिलाकर 833 दलों को रजिस्टर्ड पार्टियों की लिस्ट से बाहर किया जा सकता है।

यह कदम उन राजनीतिक दलों के लिए बड़ा संदेश है जो सिर्फ कागजों पर बने हुए हैं और चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी नहीं करते। आयोग का यह सख्त रवैया बताता है कि अब केवल सक्रिय और पारदर्शी दल ही चुनावी राजनीति में बने रह पाएंगे। इससे एक ओर जहां मतदाताओं का भरोसा चुनाव प्रणाली पर मजबूत होगा, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों को भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन गंभीरता से करना होगा।