राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार 2023–24: राष्ट्रपति मुर्मु करेंगी सम्मान, विज्ञान भवन में भव्य आयोजन
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वर्ष 2023 और 2024 के राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार 9 दिसंबर को विज्ञान भवन में, राष्ट्रपति के मुख्य आतिथ्य में प्रदान किए जाएंगे।
राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह के दौरान देशभर में प्रदर्शनियां, कार्यशालाएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर कारीगरों और हस्तकला को बढ़ावा दिया जा रहा है।
नई दिल्ली/ वस्त्र मंत्रालय ने वर्ष 2023 और 2024 के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कारों की घोषणा कर दी है, जो देश के श्रेष्ठ शिल्पकारों को सम्मानित करने के उद्देश्य से हर वर्ष प्रदान किए जाते हैं। यह पुरस्कार समारोह मंगलवार, 9 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित होगा। यह आयोजन राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह के तहत होने वाले प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है, जिसका उद्देश्य भारत की समृद्ध हस्तशिल्प विरासत की संरक्षण भावना को बढ़ावा देना और कारीगर समुदाय के प्रति सम्मान प्रकट करना है।
कार्यक्रम में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगी। समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह करेंगे, जबकि वस्त्र एवं विदेश राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्गेरिटा विशेष अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस उच्चस्तरीय भागीदारी से केंद्र सरकार की ओर से हस्तशिल्प क्षेत्र के प्रति निरंतर समर्थन और प्रतिबद्धता की स्पष्ट झलक मिलती है।
राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कारों की शुरुआत 1965 में हुई थी और तब से ये सम्मान उन कारीगरों को प्रदान किए जाते हैं जिन्होंने अपनी अनूठी कारीगरी और शिल्प कौशल के माध्यम से देश की सांस्कृतिक पहचान को समृद्ध किया है। इसके अतिरिक्त, 2002 में आरंभ किए गए शिल्प गुरु पुरस्कार भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान माने जाते हैं। ये पुरस्कार उन महान कारीगरों को समर्पित हैं जिन्होंने अपने शिल्प में असाधारण निपुणता और नवाचार को जीवित रखा है तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं।
राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह प्रतिवर्ष 8 से 14 दिसंबर के दौरान मनाया जाता है। इस सप्ताह में देशभर में प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, क्षमता निर्माण कार्यक्रमों, शिल्प प्रदर्शन, पैनल चर्चाओं और जन सहभागिता गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, ताकि न केवल भारतीय शिल्प कौशल की सुगंध देश के हर कोने तक पहुँचे, बल्कि कारीगरों की आजीविका को भी मजबूती मिले।
हस्तशिल्प क्षेत्र आज भी ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लाखों परिवारों की जीविका का आधार बना हुआ है। यह परंपराओं और कौशल की निरंतरता के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था और निर्यात आय में भी मजबूत योगदान देता है। वस्त्र मंत्रालय कौशल विकास, तकनीकी सहायता, बाजार पहुँच, वित्तीय सशक्तिकरण और मानकीकरण के माध्यम से हस्तशिल्प उद्योग को सुदृढ़ करने की दिशा में लगातार पहल कर रहा है।
सरकार का लक्ष्य है कि वैश्विक बाज़ारों में भारतीय हस्तशिल्प की पहचान और मजबूत हो, कारीगर समुदायों को अधिक अवसर मिलें और पारंपरिक शिल्प आधुनिक विश्व में भी स्थिरता और सम्मान के साथ फलते-फूलते रहें।