भारत ने सीईपीआई साझेदारी नवीनीकृत की, वैक्सीन अनुसंधान और महामारी नवाचार क्षमताओं पर बड़ा फोकस

Fri 05-Dec-2025,02:06 PM IST +05:30

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भारत ने सीईपीआई साझेदारी नवीनीकृत की, वैक्सीन अनुसंधान और महामारी नवाचार क्षमताओं पर बड़ा फोकस
  • डीबीटी-बीआईआरएसी और सीईपीआई की साझेदारी महामारी तैयारी के लिए वैक्सीन अनुसंधान, तकनीकी समाधान और वैश्विक स्वास्थ्य समन्वय को तेज करने पर केंद्रित है।

  • बायोएसे लैब और पशु सुविधा को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलने के बाद भारत वैश्विक वैक्सीन विकास इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण अनुसंधान केंद्र के रूप में उभरा है।

  • नवीनीकृत रणनीति में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी और डब्ल्यूएचओ सूचीबद्ध उच्च-प्राथमिकता रोगजनकों के अनुसंधान को शामिल कर सहयोग का दायरा बढ़ाया गया है।

Delhi / New Delhi :

Delhi/ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने अपने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के साथ मिलकर महामारी तैयारी नवाचारों के लिए गठबंधन (सीईपीआई) के साथ वैक्सीन एवं संबंधित प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान, विकास और नवाचार को बढ़ावा देने हेतु ‘सहभागिता रणनीति’ के नवीनीकरण पर हस्ताक्षर किए हैं। यह नवीनीकरण 2019 में शुरू हुई पिछली रणनीति की सफल अवधि पूरी होने के बाद किया गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस मामले पर विचार-विमर्श करते हुए इसे दर्ज कर लिया है।

सीईपीआई एक वैश्विक बहुपक्षीय गठबंधन है, जिसमें राष्ट्रीय सरकारें, निजी संस्थान, नागरिक संगठन और परोपकारी फाउंडेशन शामिल हैं। इसका उद्देश्य उभरते संक्रामक रोगों के खिलाफ टीकों और संबंधित क्षमताओं के विकास को गति देना और प्रकोप के दौरान उनकी त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित करना है। मार्च 2025 तक यूरोपीय आयोग, गेट्स फाउंडेशन और वेलकम ट्रस्ट सहित कई वैश्विक संस्थान इस गठबंधन से जुड़े हुए हैं।

डीबीटी और बीआईआरएसी वर्ष 2019 से सीईपीआई के साथ मिलकर महामारी क्षमता वाली बीमारियों के लिए टीका विकास पर कार्य कर रहे हैं। इस साझेदारी के तहत चिकनगुनिया, कोरोनावायरस और मंकी पॉक्स के लिए टीका विकास का प्रारंभिक चरण पूरा किया जा चुका है। इसके साथ ही साझा बायोइन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे बायोएसे प्रयोगशाला और पशु सुविधा का निर्माण किया गया है, जिनका उपयोग वैक्सीन अनुसंधान एवं परीक्षण के लिए राष्ट्रीय संसाधन के रूप में किया जा रहा है। डीबीटी-ब्रिक-टीएचएसटीआई बायोएसे लैब को सीईपीआई द्वारा उनके केंद्रीकृत लैब नेटवर्क तथा पशु लैब नेटवर्क के हिस्से के रूप में मान्यता मिली है। अब तक यह लैब प्री-क्लीनिकल से लेकर चरण-3 तक अनेक भारतीय एवं वैश्विक टीकों के विकास में समर्थन दे चुकी है।

नवीनीकृत सहभागिता रणनीति का दायरा पूर्व की तुलना में और विस्तृत किया गया है और इसमें मोनोक्लोनल एंटीबॉडी जैसी संबद्ध प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास को भी शामिल किया गया है। साथ ही सीईपीआई द्वारा संबोधित रोगजनकों का दायरा भी बढ़ाया जाएगा, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन की ब्लूप्रिंट सूची में प्राथमिकता वाले रोग शामिल होंगे।

यह रणनीतिक नवीनीकरण महामारी जनित स्वास्थ्य खतरों के प्रति भारत की अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह सहयोग तकनीकी विशेषज्ञता, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और सक्षम मानव संसाधनों के प्रभावी उपयोग के माध्यम से देश की जैव-सुरक्षा तैयारियों को बढ़ाएगा। इसके साथ ही यह कदम राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं और सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप स्वास्थ्य सुरक्षा और वैश्विक महामारी रोकथाम प्रयासों में भारत की भूमिका को और मजबूत बनाएगा।