सरकार ने MSME को बिना Collateral Loan, सब्सिडी व निवेश योजनाओं से वित्तीय पहुंच मजबूत की
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सरकार द्वारा सीजीटीएमएसई गारंटी सीमा 5 से बढ़ाकर 10 करोड़ करने से एमएसएमई को बिना संपार्श्विक ऋण प्राप्त करने में बड़ी राहत मिली।
पीएम रोजगार सृजन और पीएम विश्वकर्मा जैसी योजनाएँ नए उद्यमों, विनिर्माण और परंपरागत कारीगरों के लिए वित्तीय सहायता और सब्सिडी सुनिश्चित कर रही हैं।
Delhi/ भारतीय सरकार एमएसएमई क्षेत्र के सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन को बढ़ाने के लिए निरंतर नीति सुधार और योजनाओं को मजबूत कर रही है। हितधारकों के परामर्श को एक सतत प्रक्रिया मानते हुए सरकार का उद्देश्य देशभर के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को प्रतिस्पर्धी, आत्मनिर्भर और वित्तीय रूप से मजबूत बनाना है।
सरकार ने एमएसएमई को ऋण तक सुगम पहुंच प्रदान करने के लिए कई पहलें लागू की हैं। उल्लेखनीय रूप से, क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड (सीजीटीएमएसई) के माध्यम से ऋण गारंटी सीमा को 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जिससे संपार्श्विक सुरक्षा की आवश्यकता के बिना उद्यमों को वित्त मिलने में आसानी होगी। इसी तरह, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में नए सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना हेतु 35 प्रतिशत तक मार्जिन मनी सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
कारीगरों और परंपरागत शिल्पकों को प्रोत्साहन देने के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत 3 लाख रुपये तक के सब्सिडी युक्त ऋण की व्यवस्था की गई है। वहीं एमएसएमई में निवेश को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत (एसआरआई) फंड के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है।
इसके अतिरिक्त, सरकार टीआरईडीएस प्लेटफ़ॉर्म, संपार्श्विक मुक्त ऋण व्यवस्था और मशीनरी खरीद के लिए ऋण जैसे विभिन्न साधनों के माध्यम से एमएसएमई को वित्तीय सहायता को अधिक प्रभावी और समयबद्ध बनाने पर कार्य कर रही है। यह प्रयास देश में उद्यमिता, रोजगार और विनिर्माण को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।