रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कुलगुरु प्रो. वर्मा के दो वर्ष, रचे कीर्तिमान

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रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कुलगुरु प्रो. वर्मा के दो वर्ष, रचे कीर्तिमान Rani-Durgavati-University-Sets-New-Benchmarks-Under-VC-Prof-Rajesh-Verma
  • रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा के दो वर्ष पूर्ण, NAAC ए ग्रेड, नवाचार, बचत और रिकॉर्ड प्रवेश वृद्धि।

  • नवाचार, पेटेंट, कौशल विकास और वित्तीय बचत ने विश्वविद्यालय को आत्मनिर्भर शिक्षा मॉडल की ओर अग्रसर किया।

  • समय पर परीक्षा परिणाम, नए पाठ्यक्रम और रिकॉर्ड प्रवेश वृद्धि ने विद्यार्थियों का भरोसा मजबूत किया।

Madhya Pradesh / Jabalpur :

जबलपुर/ रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर में 28 दिसंबर 2025 को कुलगुरु प्रो. राजेश कुमार वर्मा के कार्यकाल के दो वर्ष सफलतापूर्वक पूर्ण हो रहे हैं। इन दो वर्षों में विश्वविद्यालय ने अकादमिक गुणवत्ता, प्रशासनिक पारदर्शिता, नवाचार, आत्मनिर्भरता और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। विश्वविद्यालय का समग्र विकास प्रदेश ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना है।

विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा ‘ए’ ग्रेड (सीजीपीए 3.22) प्राप्त होना इस कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इस उपलब्धि के साथ ही विश्वविद्यालय में पुनः दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है, जो पूर्व में बी ग्रेड होने के कारण बंद कर दिए गए थे।

शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार एवं नीति आयोग के सहयोग से विश्वविद्यालय में बायोडिजाइन इनोवेशन सेंटर (DIC) की स्थापना की गई है। डीआईसी एवं इन्क्यूबेशन सेंटर के माध्यम से अब तक 6 पेटेंट प्राप्त किए जा चुके हैं, जो अनुसंधान एवं नवाचार की दिशा में विश्वविद्यालय की मजबूत स्थिति को दर्शाते हैं। पीएम-ऊषा परियोजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय को शैक्षणिक उन्नयन के लिए 20 करोड़ रुपये का अनुदान स्वीकृत किया गया है।

परीक्षा एवं परिणाम प्रणाली में भी ऐतिहासिक सुधार देखने को मिले हैं। सत्र 2023-24 में परीक्षा समाप्ति के दिन ही 5 परीक्षा परिणाम तथा अगले दिन 3 परिणाम घोषित किए गए। वहीं सत्र 2024-25 में अधिकांश परीक्षाओं के परिणाम उसी दिन या 3 से 7 दिनों के भीतर घोषित किए गए। प्री-पीएचडी प्रवेश परीक्षा (DET-2025) में मात्र 28 घंटे में 28 विषयों के परिणाम घोषित कर 519 शोधार्थियों को प्रवेश दिया गया, जो विश्वविद्यालय प्रशासन की दक्षता का उदाहरण है।

नवाचार और आत्मनिर्भरता की दिशा में विश्वविद्यालय के कौशल विकास संस्थान द्वारा निर्मित अंगवस्त्रों का उपयोग अतिविशिष्ट अतिथियों के स्वागत में किया जा रहा है, जिससे प्रतिवर्ष 8 से 10 लाख रुपये की बचत हो रही है। महिलाओं के लिए नि:शुल्क सिलाई प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से लगभग 110 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया गया। विद्यार्थियों के लिए एलईडी, सोलर पैनल रिपेयरिंग, हस्तशिल्प और सजावटी वस्तुएं बनाने जैसे रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम आयोजित किए गए।

वित्तीय अनुशासन के तहत विश्वविद्यालय ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 19.50 करोड़ रुपये की बचत की। साथ ही 7 दिसंबर 2025 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सुझाव के आधार पर बुके की जगह फलों से स्वागत की परंपरा की शुरुआत की गई।

अकादमिक क्षेत्र में बी.टेक (कंप्यूटर साइंस), बी.एससी. एविएशन, बी.वॉक, फैशन व इंटीरियर डिजाइन, सोशल वर्क सहित कई नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए। सत्र 2024-25 में प्रवेश संख्या में 46 प्रतिशत और सत्र 2025-26 में 92 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई, जो प्रदेश में पहली बार हुआ।

एनईपी के तहत चार वर्षीय बीए पाठ्यक्रमों में 20 से अधिक संयोजन प्रारंभ किए गए। साथ ही प्रवेश सहायता एवं कैरियर मार्गदर्शन केंद्र की स्थापना से करीब 3000 विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ मिला।

पर्यावरण संरक्षण, एमओयू, राष्ट्रीय कार्यशालाओं, अतिथि विद्वानों के हित में निर्णय और कुलगुरु द्वारा स्वयं अध्यापन कार्य ने विश्वविद्यालय को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

कुलगुरु प्रो. राजेश कुमार वर्मा के दो वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियों का विस्तृत विवरण

1. नैक से ‘ए’ ग्रेड (CGPA 3.22) की उपलब्धि

विश्वविद्यालय के समग्र शैक्षणिक, प्रशासनिक, वित्तीय और शोध कार्यों के मूल्यांकन के उपरांत राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को ‘ए’ ग्रेड (CGPA 3.22) प्रदान किया गया। यह उपलब्धि विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता, पारदर्शी प्रशासन और सतत सुधार का प्रमाण है। इस ग्रेड के साथ विश्वविद्यालय को नई योजनाओं, अनुदानों और दूरस्थ शिक्षा पुनः प्रारंभ करने का अधिकार प्राप्त हुआ।

2. बायोडिजाइन इनोवेशन सेंटर (DIC) की स्थापना

शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार एवं नीति आयोग के सहयोग से विश्वविद्यालय में बायोडिजाइन इनोवेशन सेंटर की स्थापना की गई। यह केंद्र नवाचार, स्टार्टअप संस्कृति और अनुसंधान को बढ़ावा देने का प्रमुख मंच बना है। डीआईसी एवं इन्क्यूबेशन सेंटर के माध्यम से अब तक 6 पेटेंट प्राप्त किए जा चुके हैं, जो विश्वविद्यालय की शोध क्षमता और उद्योग से जुड़ाव को दर्शाते हैं।

3. पीएम-ऊषा परियोजना के अंतर्गत 20 करोड़ रुपये का अनुदान

प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (PM-USHA) के तहत विश्वविद्यालय को शैक्षणिक अधोसंरचना, शोध सुविधाओं और शैक्षणिक गुणवत्ता के उन्नयन के लिए 20 करोड़ रुपये का अनुदान स्वीकृत किया गया। इस राशि का उपयोग प्रयोगशालाओं, स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल संसाधनों और शैक्षणिक नवाचारों में किया जा रहा है।

4. समय पर परीक्षा एवं परिणाम प्रणाली में ऐतिहासिक सुधार

विश्वविद्यालय ने परीक्षा एवं परिणाम प्रणाली में अभूतपूर्व सुधार किया। सत्र 2023-24 में परीक्षा समाप्ति के दिन ही 5 परिणाम तथा अगले दिन 3 परिणाम घोषित किए गए। सत्र 2024-25 में भी अधिकांश परीक्षाओं के परिणाम उसी दिन या 3 से 7 दिनों के भीतर घोषित हुए। इससे विद्यार्थियों का समय बचा और उच्च शिक्षा में विश्वास बढ़ा।

5. प्री-पीएचडी प्रवेश परीक्षा (DET-2025) में रिकॉर्ड

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने डीईटी-2025 परीक्षा की समाप्ति के दिन ही 11 विषयों के परिणाम घोषित किए। शेष 17 विषयों के परिणाम अगले दिन जारी किए गए। कुल 28 घंटे में 28 विषयों के परिणाम घोषित कर 519 शोधार्थियों को प्रवेश दिया गया, जो प्रदेश और देश में एक मिसाल है।

6. नवाचार के माध्यम से आत्मनिर्भरता की दिशा में पहल

विश्वविद्यालय के कौशल विकास संस्थान द्वारा निर्मित अंगवस्त्रों का उपयोग अतिविशिष्ट अतिथियों के स्वागत में किया जा रहा है। इससे बाजार पर निर्भरता कम हुई और प्रतिवर्ष लगभग 8–10 लाख रुपये की बचत हुई। यह पहल आत्मनिर्भर विश्वविद्यालय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

7. महिलाओं एवं विद्यार्थियों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 30, 60 और 90 दिवसीय नि:शुल्क सिलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनसे लगभग 110 महिलाएं लाभान्वित हुईं। विद्यार्थियों के लिए एलईडी बल्ब, ट्यूबलाइट, सोलर पैनल रिपेयरिंग, राखी निर्माण, सजावटी वस्तुएं बनाना जैसे कार्यक्रम आयोजित कर स्वरोजगार के अवसर सृजित किए गए।

8. वित्तीय अनुशासन और 19.50 करोड़ रुपये की बचत

मितव्ययता और पारदर्शी वित्तीय प्रबंधन के माध्यम से विश्वविद्यालय ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 19.50 करोड़ रुपये की बचत की। यह राशि शैक्षणिक और विकासात्मक कार्यों में पुनः निवेश की गई।

9. बुके की जगह फलों से स्वागत की नई परंपरा

7 दिसंबर 2025 को भोपाल में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सुझाव पर विश्वविद्यालय ने बुके के स्थान पर फलों से स्वागत की नई परंपरा शुरू की। यह पर्यावरण संरक्षण, सादगी और स्वास्थ्य जागरूकता का प्रतीक है।

10. नए रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों की शुरुआत

विश्वविद्यालय में बी.टेक (कंप्यूटर साइंस), बी.एससी. एविएशन, बी.वॉक, फैशन डिजाइन, इंटीरियर डिजाइन, सोशल वर्क जैसे नए पाठ्यक्रम प्रारंभ किए गए। इन पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों की भारी रुचि देखने को मिली और प्रवेश संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

11. प्रवेश संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि

सत्र 2024-25 में प्रवेश संख्या में 46 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई, जबकि सत्र 2025-26 में यह वृद्धि 92 प्रतिशत से अधिक रही। यह प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है जहां इतनी अधिक वृद्धि दर्ज की गई।

12. एनईपी के तहत चार वर्षीय बीए पाठ्यक्रम

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत कला संकाय में चार वर्षीय बीए के 20 से अधिक संयोजन प्रारंभ किए गए, जिनमें भारतीय संस्कृति, अंतरराष्ट्रीय संबंध, मनोविज्ञान, महिला अध्ययन, पुरातत्व जैसे विषय शामिल हैं।

13. प्रवेश सहायता एवं कैरियर मार्गदर्शन केंद्र

सत्र 2025-26 से प्रवेश सहायता एवं कैरियर मार्गदर्शन केंद्र की शुरुआत की गई। इस केंद्र के माध्यम से लगभग 3000 विद्यार्थियों को प्रवेश प्रक्रिया और पाठ्यक्रम चयन में सहायता मिली, जो मध्यप्रदेश में पहली बार हुआ।

14. कुलगुरु द्वारा प्रत्यक्ष अध्यापन

कुलगुरु प्रो. राजेश कुमार वर्मा ने स्वयं बी.कॉम. के विद्यार्थियों को कक्षाएं लेकर शैक्षणिक संवाद स्थापित किया, जिससे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और प्रेरणा बढ़ी।

15. उच्च शिक्षा विभाग की समितियों में नेतृत्व

मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गठित समितियों में कुलगुरु प्रो. वर्मा ने अध्यक्ष की भूमिका निभाई और नए अध्यादेशों के क्रियान्वयन में योगदान दिया।

16. ‘इंडिया’ के स्थान पर ‘भारत’ प्रयोग हेतु सम्मान

फरवरी 2025 में प्रयागराज महाकुंभ में ‘भारत’ नाम को अपनाने के निर्णय हेतु विश्वविद्यालय को अभिनंदन पत्र प्रदान किया गया।

17. अतिथि विद्वानों के हित में निर्णय

अतिथि विद्वानों को सह-निर्देशक, मूल्यांकनकर्ता और प्रश्नपत्र निर्माण का अवसर दिया गया। उत्कृष्ट शोध हेतु प्रति सत्र 5000 रुपये का प्रोत्साहन भी स्वीकृत किया गया।

18. पर्यावरण संरक्षण के ठोस प्रयास

एनएसएस स्वयंसेवकों द्वारा 250 सकोरे और घोंसले लगाए गए। नियमित पौधारोपण कार्यक्रमों से हरित परिसर को बढ़ावा दिया गया।

19. राष्ट्रीय कार्यशालाएं एवं अकादमिक उन्नयन

भौतिक विज्ञान और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा एवं एनईपी पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई।

20. एमओयू एवं दूरस्थ शिक्षा की तैयारी

देश की प्रतिष्ठित संस्थाओं से एमओयू किए गए। ए ग्रेड मिलने के बाद दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम पुनः प्रारंभ करने की तैयारी अंतिम चरण में है।