बांग्लादेश हिंसा पर धीरेंद्र शास्त्री बोले, हिंदुओं की सुरक्षा पर उठाए सवाल
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बांग्लादेश में यूनुस सरकार के गठन के बाद हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरों से भारत में चिंता और आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
दीपू चंद्र दास और अमृत मंडल की हत्या के मामलों ने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भारत सरकार से अपील की कि इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से उठाया जाए।
ढाका/ बांग्लादेश में जारी राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता थमने का नाम नहीं ले रही है। खास तौर पर हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे हमलों की खबरें लगातार सामने आ रही हैं, जिससे न केवल बांग्लादेश बल्कि भारत में भी चिंता बढ़ती जा रही है। हालात ऐसे बनते दिख रहे हैं कि यह मुद्दा अब केवल पड़ोसी देश तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने लगा है।
यूनुस सरकार के गठन के बाद से बांग्लादेश में अशांति का माहौल लगातार बना हुआ बताया जा रहा है। विभिन्न रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए यह दावा किया जा रहा है कि हिंदू समुदाय को निशाना बनाकर हमले किए जा रहे हैं। हाल ही में दीपू चंद्र दास की हत्या की खबर ने काफी आक्रोश पैदा किया था, वहीं अब 29 वर्षीय अमृत मंडल उर्फ सम्राट की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की खबर ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
इन घटनाओं के बाद भारत में राजनीतिक और धार्मिक दोनों स्तरों पर प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। भारतीय नेता जहां यूनुस सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं, वहीं कई धार्मिक गुरु भी खुलकर इस मुद्दे पर बोलने लगे हैं। उनका कहना है कि बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर भारत सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
इसी कड़ी में बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत के दौरान कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमले बेहद चिंताजनक हैं। उनके अनुसार, अगर समय रहते कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो वहां रह रहे हिंदू समुदाय की स्थिति और भी खतरे में पड़ सकती है।
आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने केंद्र सरकार से अपील की कि इस मुद्दे को केवल कूटनीतिक स्तर तक सीमित न रखा जाए, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी मजबूती से उठाया जाए। उनका मानना है कि भारत को वैश्विक समुदाय का ध्यान बांग्लादेश में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों की ओर आकर्षित करना चाहिए।
कुल मिलाकर, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे कथित अत्याचार अब एक संवेदनशील अंतरराष्ट्रीय मुद्दे के रूप में उभरते नजर आ रहे हैं, जिस पर आने वाले दिनों में भारत सरकार की भूमिका और कदमों पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।