बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा: चटगांव के पास हिंदू परिवार का घर जलाया, पुलिस ने इनाम की घोषणा
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Bangladesh-Violence
चटगांव के राउजान इलाके में हिंदू परिवार का घर जलाया गया.
पुलिस ने आरोपियों की पहचान के लिए इनाम घोषित किया.
बढ़ती हिंसा से अल्पसंख्यक समुदाय में डर का माहौल.
Dhaka / बांग्लादेश में बदलते राजनीतिक हालात के बीच हिंसा और सांप्रदायिक हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। ताजा मामला चटगांव के पास राउजान इलाके का है, जहां मंगलवार रात एक हिंदू परिवार के घर को आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को दहशत में डाल दिया है, बल्कि देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं।
बांग्लादेश पुलिस ने इस हमले के आरोपियों की पहचान से जुड़ी जानकारी देने वालों के लिए इनाम की घोषणा की है। चटगांव रेंज के पुलिस चीफ अहसान हबीब ने बुधवार रात जले हुए घर का दौरा किया और मौके पर इनाम का ऐलान किया, हालांकि इसकी राशि सार्वजनिक नहीं की गई। पुलिस के अनुसार, मंगलवार रात अज्ञात बदमाशों ने इस घर में आग लगा दी थी। राहत की बात यह रही कि घर में रहने वाले सभी लोग सुरक्षित बच निकले।
पीड़ित परिवार ने बताया कि आग की गर्मी से उनकी नींद खुली, लेकिन वे तुरंत बाहर नहीं निकल पाए क्योंकि हमलावरों ने घर का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया था। हालात इतने भयावह थे कि दो परिवारों के कुल आठ सदस्यों को टिन की चादरें और बांस की बाड़ काटकर किसी तरह अपनी जान बचानी पड़ी। यह घर कतर में काम करने वाले प्रवासी मजदूर शुख शिल और अनिल शिल का बताया जा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, राउजान इलाके में बीते एक हफ्ते के भीतर हिंदू परिवारों को निशाना बनाकर कई हमले किए गए हैं। सिर्फ पांच दिनों में सात हिंदू परिवारों के घरों में आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। पुलिस ने अब तक इस मामले में पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। राउजान पुलिस स्टेशन के प्रभारी साजेदुल इस्लाम ने कहा कि अन्य आरोपियों की तलाश के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है।
इससे पहले, पिछले हफ्ते मयमनसिंह शहर में भी एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी, जहां भीड़ ने 28 वर्षीय हिंदू फैक्ट्री कर्मचारी दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या कर दी। उस पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था। इस घटना के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए। अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने बयान देकर कहा कि सरकार मृतक की पत्नी, छोटे बच्चे और माता-पिता की जिम्मेदारी उठाएगी। पुलिस ने इस मामले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है।
हिंसा का सिलसिला यहीं नहीं रुका। 12 दिसंबर को ढाका में इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी को गोली मारी गई, जिनकी सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत हो गई। उसी शाम गुस्साई भीड़ ने डेली स्टार और प्रथम आलो के दफ्तरों में आग लगा दी, साथ ही छायानट और उदिची शिल्पी गोष्ठी जैसे पुराने सांस्कृतिक संगठनों के कार्यालय भी जला दिए गए।
यूनुस के कार्यालय ने एक बयान में साफ कहा है कि किसी भी आरोप या अफवाह के बहाने हिंसा को सही नहीं ठहराया जा सकता। वहीं मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलीश केंद्र के मुताबिक, 2025 में अब तक बांग्लादेश में हिंसा की घटनाओं में 184 लोगों की मौत हो चुकी है। इन घटनाओं ने पूरे देश में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है।