सरकार का कहना है कि वीबी-जी राम जी का मकसद ग्रामीणों को केवल अस्थायी रोजगार तक सीमित न रखते हुए गांव के स्तर पर टिकाऊ विकास, बुनियादी ढांचे और आजीविका के स्थायी साधन तैयार करना है। इस विधेयक में चार प्रमुख प्राथमिकताओं को आधार बनाया गया है। जल सुरक्षा के तहत जल संरक्षण, सिंचाई सहायता, भूजल पुनर्भरण, तालाबों और जल निकायों के पुनर्जीवन, वॉटरशेड विकास और वनीकरण जैसे कार्यों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीण सड़कों, स्कूलों, सार्वजनिक भवनों, स्वच्छता व्यवस्था, नवीकरणीय ऊर्जा और सरकारी आवास योजनाओं से जुड़े कार्यों को भी प्रमुखता दी जाएगी।
नई योजना में कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, भंडारण, बाजार, कौशल विकास और सर्कुलर इकोनॉमी से जुड़ी उत्पादक परिसंपत्तियों के जरिए ग्रामीण आय बढ़ाने पर जोर दिया गया है। इसके अलावा बाढ़, सूखा, वनाग्नि और अन्य आपदाओं के समय भी रोजगार बनाए रखने के लिए आश्रय स्थल, तटबंध, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन से जुड़े कार्य शामिल किए गए हैं। सरकार का दावा है कि इससे ग्रामीण क्षेत्र न केवल आर्थिक रूप से मजबूत होंगे, बल्कि आपदाओं के लिए भी अधिक तैयार रहेंगे।
वीबी-जी राम जी के तहत रोजगार के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने का प्रस्ताव है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में किए जाने वाले सभी कार्यों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक से जोड़ा जाएगा, जिससे एक एकीकृत और राष्ट्रीय स्तर का ढांचा तैयार हो सके। सरकार का मानना है कि इससे 2047 के विकसित भारत लक्ष्य के अनुरूप टिकाऊ और मजबूत ग्रामीण परिसंपत्तियों का निर्माण होगा।
इस विधेयक में डिजिटल तकनीक पर भी खास जोर दिया गया है। जीपीएस आधारित योजना, बायोमेट्रिक सत्यापन, मोबाइल रिपोर्टिंग, रियल-टाइम डैशबोर्ड, एआई आधारित विश्लेषण और सोशल ऑडिट जैसी व्यवस्थाओं को अनिवार्य किया गया है। ग्राम पंचायत स्तर पर कामों की साप्ताहिक जानकारी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाएगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ाने का दावा किया जा रहा है।
हालांकि, राज्यों पर बढ़ने वाले वित्तीय बोझ और खर्चों के बंटवारे को लेकर विपक्षी दल और कई राज्य सरकारें नाराज हैं। अब योजना के तहत खर्च का एक बड़ा हिस्सा राज्यों को भी उठाना होगा, जिसे लेकर राजनीतिक टकराव गहराता दिख रहा है। सरकार का तर्क है कि इससे राज्यों को क्षेत्रीय जरूरतों के हिसाब से फंड के बेहतर वितरण की शक्ति मिलेगी, जबकि विपक्ष इसे केंद्र द्वारा जिम्मेदारी राज्यों पर डालने की कोशिश बता रहा है। कुल मिलाकर, वीबी-जी राम जी विधेयक ग्रामीण भारत के भविष्य को लेकर एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जिस पर आने वाले दिनों में संसद और सड़कों पर बहस और तेज होने की संभावना है।