कफ सिरप तस्करी केस: ED का शिकंजा, मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल पर NBW और रेड कॉर्नर नोटिस की तैयारी
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ED के आखिरी नोटिस के बाद भी शुभम जायसवाल फरार.
फर्जी फर्मों से कोडिन कफ सिरप की तस्करी का खुलासा.
हाईकोर्ट ने तस्करी को गंभीर सामाजिक अपराध माना.
Allahabad / कफ सिरप तस्करी के बड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की सख्ती लगातार बढ़ती जा रही है। ईडी द्वारा भेजे गए आखिरी नोटिस के बावजूद इस तस्करी सिंडिकेट का कथित मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल पेश नहीं हुआ है। ईडी सूत्रों के अनुसार, यह अंतिम मौका था और अब शुभम जायसवाल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) और रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके साथ ही, वाराणसी में दर्ज मुकदमे के आधार पर स्थानीय पुलिस भी उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कराने की तैयारी में है।
एसआईटी और ईडी की जांच में फाइनेंशियल ट्रेल पर फोकस
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी ने विवेचना कर रहे अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। जांच अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि तस्करी से जुड़े पूरे फाइनेंशियल ट्रेल को मजबूत तरीके से स्थापित किया जाए। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह नेटवर्क सिर्फ ड्रग तस्करी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके जरिए बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग भी की गई है।
मनोहर जायसवाल पर भी कसा शिकंजा
ईडी ने कफ सिरप तस्करी मामले में मनोहर जायसवाल को तलब किया है। मनोहर जायसवाल को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया गया है। वह आर्पिक फार्मास्यूटिकल कंपनी का डायरेक्टर बताया जा रहा है। इससे पहले ईडी ने अहमदाबाद, भोपाल और लखनऊ में उसके ठिकानों पर छापेमारी की थी। सरोजिनी नगर थाने में एफएसडीए द्वारा 8 नवंबर को दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है।
गिरफ्तारी वारंट और फरार आरोपी
लखनऊ जिला कोर्ट ने फरार आरोपियों शुभम जायसवाल और विकास सिंह नर्वे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह वारंट फरवरी 2025 में सुशांत गोल्फ सिटी थाने में दर्ज मामले के आधार पर जारी हुआ है। एसटीएफ की जांच में यह पुष्टि हुई है कि फर्जी फर्मों के जरिए कफ सिरप की तस्करी की जा रही थी। शुभम जायसवाल वाराणसी का निवासी है, जबकि विकास सिंह नर्वे आजमगढ़ का रहने वाला बताया गया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त रुख
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोडिन कफ सिरप तस्करी मामले में दो आरोपियों—सिंटू उर्फ अखिलेश प्रकाश और आकाश मौर्य—की रिट याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इन याचिकाओं में आरोपियों ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी। न्यायमूर्ति अजय भनोट और न्यायमूर्ति गरिमा प्रसाद की पीठ ने स्पष्ट कहा कि यह अपराध समाज के खिलाफ गंभीर प्रकृति का है।
सीमापार नारकोटिक्स नेटवर्क का खुलासा
अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ये आरोपी एक बड़े सीमापार नारकोटिक्स नेटवर्क के संदिग्ध सरगना हैं। प्राथमिकी के अनुसार, गाजियाबाद और वाराणसी के स्टॉक प्वाइंट्स से भारी मात्रा में कोडिन युक्त कफ सिरप को झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, नेपाल और बांग्लादेश तक पहुंचाने की पूरी श्रृंखला बनाई गई थी। अवैध खेप को वैध फार्मा सप्लाई दिखाने के लिए कई फर्जी कंपनियां और दस्तावेज तैयार किए गए थे।
जांच जारी, नेटवर्क पर और खुलासों की उम्मीद
इस पूरे मामले में गाजियाबाद, वाराणसी, जौनपुर समेत कई जिलों में एफआईआर दर्ज हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि आने वाले दिनों में इस तस्करी सिंडिकेट से जुड़े और बड़े नाम सामने आ सकते हैं। फिलहाल ईडी, एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से तस्करों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं।