Hindi: Shanti Bill पर संसद में बवाल, Nuclear Sector में Private Entry पर सियासी टकराव

Thu 18-Dec-2025,12:15 PM IST +05:30

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Hindi: Shanti Bill पर संसद में बवाल, Nuclear Sector में Private Entry पर सियासी टकराव
  • Shanti Bill संसद में पेश होते ही विवादों में, nuclear sector में private companies की एंट्री पर विपक्ष ने सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए।

  • विपक्ष ने राष्ट्रीय सुरक्षा और परमाणु डेटा की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए सदन में जोरदार विरोध किया। सरकार का दावा, सख्त नियमन और सरकारी निगरानी में निजी भागीदारी से निवेश, तकनीक और रोजगार बढ़ेंगे।

Delhi / Delhi :

दिल्ली/ सरकार ने संसद में Shanti Bill पेश किया, जिसके बाद सदन में विपक्ष ने जोरदार विरोध दर्ज कराया। इस बिल का मुख्य उद्देश्य भारत के Nuclear Sector में Private Companies की एंट्री को कानूनी रूप देना बताया जा रहा है। सरकार का दावा है कि इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और परमाणु ऊर्जा उत्पादन में तेजी आएगी, जबकि विपक्ष इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा मानते हुए गंभीर सवाल उठा रहा है।

विपक्षी दलों का कहना है कि न्यूक्लियर सेक्टर केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और सुरक्षा से जुड़ा क्षेत्र है। ऐसे में निजी कंपनियों की भागीदारी से डेटा सुरक्षा, परमाणु सामग्री के दुरुपयोग और जवाबदेही जैसे खतरे पैदा हो सकते हैं। कई सांसदों ने आशंका जताई कि मुनाफे के दबाव में सुरक्षा मानकों से समझौता हो सकता है।

वहीं सरकार का तर्क है कि Shanti Bill के तहत सख्त रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाया गया है। निजी कंपनियों को केवल सीमित और नियंत्रित भूमिका दी जाएगी, जबकि नीति निर्धारण, निगरानी और सुरक्षा पूरी तरह सरकार के हाथ में रहेगी। सरकार के अनुसार इस कदम से विदेशी निवेश बढ़ेगा, आधुनिक तकनीक आएगी और भारत क्लीन एनर्जी के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ेगा।

Private Companies के लिए यह बिल कई अवसर लेकर आता है। उन्हें न्यूक्लियर इंफ्रास्ट्रक्चर, सप्लाई चेन, मेंटेनेंस और तकनीकी सेवाओं में भागीदारी का मौका मिलेगा। इससे रोजगार सृजन, रिसर्च और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

हालांकि विपक्ष ने मांग की है कि बिल को संसदीय समिति के पास भेजा जाए ताकि हर पहलू की गहन जांच हो सके। Shanti Bill पर यह बहस सिर्फ आर्थिक सुधार बनाम सुरक्षा चिंता की नहीं, बल्कि भविष्य की ऊर्जा नीति और राष्ट्रीय हितों से भी जुड़ी मानी जा रही है।