कैंसर पर भारत की भविष्य-तैयार रणनीति: सस्ता इलाज, सार्वभौमिक पहुंच और उन्नत शोध
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
सरकार की कैंसर नीति रोकथाम, शुरुआती जांच, सस्ते इलाज और जिला स्तर पर सेवाओं के विस्तार के जरिए सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित कर रही है।
टाटा मेमोरियल सेंटर और नेशनल कैंसर केयर ग्रिड मरीजों को घर के पास मानकीकृत, किफायती और उन्नत कैंसर उपचार उपलब्ध करा रहे हैं।
स्वदेशी एचपीवी वैक्सीन और रेडियोआइसोटोप नवाचार भारत को कैंसर अनुसंधान और न्यूक्लियर मेडिसिन में वैश्विक नेतृत्व दिला रहे हैं।
Delhi/ देश में कैंसर के बढ़ते बोझ को लेकर संसद में उठे सवालों के जवाब में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार कैंसर देखभाल को लेकर एक बहुआयामी, भविष्य के लिए तैयार और समावेशी रणनीति पर काम कर रही है। यह रणनीति रोकथाम, प्रारंभिक जांच, उपचार, अनुसंधान और विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए वहनीयता पर केंद्रित है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार का उद्देश्य कैंसर देखभाल को कुछ चुनिंदा उत्कृष्ट केंद्रों तक सीमित रखने के बजाय उसे सार्वभौमिक पहुंच वाला बनाना है। इसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य, आधुनिक प्रौद्योगिकी और अनुसंधान को एकीकृत किया जा रहा है। उन्होंने माना कि अस्पताल में भर्ती के दौरान कैंसर रोगियों और उनके परिवारों को भावनात्मक व लॉजिस्टिकल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को कम करने के लिए प्रवेश प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा रहा है और जिला स्तर पर ऑन्कोलॉजी सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है, ताकि तृतीयक अस्पतालों पर दबाव घटे।
मंत्री ने बताया कि वर्ष 2014 के बाद देशभर में 11 टाटा मेमोरियल सेंटर अस्पताल स्थापित किए गए हैं। इसके साथ ही 300 से अधिक अस्पतालों को जोड़ने वाला नेशनल कैंसर केयर ग्रिड बनाया गया है, जो मरीजों को उनके घरों के पास मानकीकृत और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराता है। नवी मुंबई में प्लेटिनम ब्लॉक सहित बड़े विस्तार कार्य भी जारी हैं, जिससे उन्नत उपचार क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
कैंसर के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि यह केवल भारत की नहीं बल्कि वैश्विक प्रवृत्ति है। बढ़ती आयु, पर्यावरणीय बदलाव, जीवनशैली में परिवर्तन और गैर-संक्रामक रोगों की जल्दी शुरुआत इसके प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जांच और आधुनिक उपचार के कारण आज कई कैंसर जानलेवा न रहकर इलाज योग्य बन चुके हैं।
अनुसंधान के क्षेत्र में, बोर्ड ऑफ रेडिएशन एंड आइसोटोप टेक्नोलॉजी (BRIT), टाटा मेमोरियल सेंटर और शिक्षण अस्पताल रेडियोप्रोटेक्टिव एजेंटों, सटीक-लक्षित तकनीकों और कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि टाटा मेमोरियल सेंटर में लगभग 60 प्रतिशत मरीजों को आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के तहत मुफ्त या अत्यंत कम लागत पर उपचार मिलता है।
मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि देश में आवश्यक कैंसर दवाओं के स्वदेशी निर्माण से आयात पर निर्भरता कम हुई है। भारत की पहली स्वदेशी एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में बड़ी उपलब्धि है। इसके अलावा, भारत ने पिछले एक दशक में 24 स्वदेशी रेडियोआइसोटोप विकसित किए हैं, जिनमें प्रोस्टेट कैंसर और बचपन के रक्त कैंसर के लिए उन्नत थेरानोस्टिक्स शामिल हैं, जिससे ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में भी किफायती उपचार संभव हो सका है।