अल्पसंख्यक दिवस पर एनसीएम ने सुरक्षा और सशक्तिकरण की प्रतिबद्धता दोहराई

Sat 20-Dec-2025,06:28 PM IST +05:30

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अल्पसंख्यक दिवस पर एनसीएम ने सुरक्षा और सशक्तिकरण की प्रतिबद्धता दोहराई
  • अल्पसंख्यक दिवस पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, कल्याण और सशक्तिकरण की भूमिका को रेखांकित किया।

  • छह अल्पसंख्यक समुदायों के नेताओं ने समावेश, सहअस्तित्व और नीति समर्थन पर अपने विचार साझा किए। खुले सत्र में प्रमाण पत्र और योजनाओं के क्रियान्वयन जैसे मुद्दों पर समाधानोन्मुख संवाद हुआ।

  • अल्पसंख्यक दिवस पर NCM ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, कल्याण और सशक्तिकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

Delhi / Delhi :

नई दिल्ली | 20 दिसंबर, 2025 राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) ने 18 दिसंबर 2025 को अल्पसंख्यक दिवस के अवसर पर एक विचारोत्तेजक और संवाद-प्रधान कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें देश के छह मान्यता प्राप्त धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी के प्रमुख प्रतिनिधियों और विचारकों ने भाग लिया। इस अवसर पर आयोग की भूमिका को धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, कल्याण और सशक्तिकरण के एक सशक्त मंच के रूप में रेखांकित किया गया।

कार्यक्रम में माउंट कार्मेल स्कूल के अतिथि वक्ता डॉ. माइकल वी. विलियम्स ने अल्पसंख्यक दिवस के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ईसाई समुदाय ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में दशकों से मूक लेकिन निर्णायक योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि ये संस्थान धार्मिक सीमाओं से ऊपर उठकर समाज के हर वर्ग की सेवा करते हैं।

जामिया हमदर्द के मोहम्मद तौहीद आलम ने “सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास” के व्यापक दृष्टिकोण के तहत अल्पसंख्यक कल्याण को शासन की केंद्रीय धुरी बताया। वहीं खालसा कॉलेज के प्रोफेसर हरबंस सिंह ने गुरुबानी से प्रेरणा लेते हुए कहा कि सहअस्तित्व और सामूहिक समृद्धि भारतीय सभ्यता की जीवंत परंपराएं हैं, केवल नीतिगत नारे नहीं।

बौद्ध समुदाय की ओर से आचार्य येशी फुंटसोक और जैन समुदाय की ओर से डॉ. इंदु जैन ने अपने-अपने समुदायों की समकालीन चुनौतियों को सामने रखते हुए समाधानोन्मुख नीति समर्थन की आवश्यकता पर बल दिया। अनुभवी पारसी नेता श्री मराज़बान नरीमन ज़ैवाला ने अल्पसंख्यक-केंद्रित सरकारी कार्यक्रमों और उनके प्रभावी क्रियान्वयन में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की भूमिका को विस्तार से समझाया।

अल्पसंख्यक समुदाय के लिए खुला संवाद
कार्यक्रम के दौरान आयोजित खुले सत्र में बड़ी संख्या में समुदाय प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सत्र में अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र, कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और प्रशासनिक समन्वय जैसे व्यावहारिक मुद्दों पर प्रश्न उठाए गए। संवाद ने सहभागिता, पारदर्शिता और समाधान-केन्द्रित दृष्टिकोण की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाया।

समावेशी समाज की दिशा में प्रयास
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सचिव सुश्री अलका उपाध्याय ने अल्पसंख्यकों के उत्थान हेतु संचालित योजनाओं, शिक्षा, कौशल विकास, वित्तीय सहायता और सशक्तिकरण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों ने भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक ताने-बाने को समृद्ध किया है। आयोग निरंतर संवाद, समन्वय और निगरानी के माध्यम से यह सुनिश्चित कर रहा है कि कोई भी समुदाय पीछे न छूटे और सभी को समान अवसर प्राप्त हों।